सखुआ के पेड़ व फूल की पूजा की
बाहा पर्व मनाने के लिए रविवार को आदिवासी समाज के लोग खंडोली पहुंचे. यहां पर प्रकृति को बचाने का संकल्प लेते हुए सखुआ के पेड़ और उसके फूल की पूजा की. आयोजन ग्राम स्वराज मंच व आदिवासी युवा ग्रुप ताला बुरु खंडोली ने किया था. इसमें शामिल आदिवासी समाज के युवक-युवतियां नाचते-गाते हुए पूजास्थल पर पहुंचे. वहां पूजा के बाद सखुआ के पेड़ और उसके फूल की पूजा करते हुए प्रकृति के संरक्षण का संकल्प लिया.आदिवासी समाज रहा है प्रकति प्रेमी
मुख्य अतिथि भाजपा नेता नुनूलाल मरांडी ने कहा कि आदिवासी समाज शुरू से ही प्रकृति का प्रेमी रहा है. जंगलों में ही आदिवासी समाज के लोग निवास करते थे और पेड़-पौधों को अपना परिवार मानते हुए उसकी सुरक्षा करते रहे हैं. आज भी जहां आदिवासी समाज निवास करता है, वहां पर जंगल व पेड़-पौधों को देखा जा सकता है. कहा कि जंगल है तो जीवन है और पूरी दुनियां ने इसे कोविड के समय में अनुभव किया. जब सभी लोग कोविड के चंगुल में आ रहे थे, तब आदिवासी भाई स्वस्थ थे.
भाजपा नेता सिकंदर किस्कू ने कहा कि आदिवासी समाज के लोग जब पेड़ों में नये पत्ते आते हैं और उसमें फूल देखते हैं तो उनकी खुशी देखते ही बनती है. इसी खुशी में बाहा या सरहुल का पर्व वे मनाते हैं. थाना प्रभारी जितेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि सभी को प्रकृति से जुड़े रहना चाहिए. प्रकृति से शुद्ध हवा के साथ स्वस्थ जीवन मिलता है. सरकार भी पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कार्यक्रम चला रही है. प्रकृति का संरक्षण करना हम सबों की जिम्मेदारी है.ये थे उपस्थित
मौके पर मंच के अध्यक्ष सुशील हांसदा, उपाध्यक्ष लालु मूर्मू, सचिव देवान बेसरा, उपसचिव शिबू सोरेन, कोषाध्यक्ष मीरूलाल बास्के, मोहीलाल हांसदा, रूपलाल मुर्मू, संदीप किस्कू, मंटू मरांडी, राजकुमार किस्कू, बाबूराम हांसदा, किशुन किस्कू, रामचंद्र हांसदा, विनोद हांसदा, बाबूजान चौड़े, सुनील किस्कू आदि मौजूद थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है