यह मामला तब उजागर हुआ जब केआइटी के डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग के पांचवें सेमेस्टर का एग्जाम देने को लेकर बच्चे वनांचल कॉलेज परीक्षा केंद्र पर पहुंचे. बता दें कि केआइटी का डिप्लोमा इन इंजीनियरिंग परीक्षा का केंद्र गिरिडीह के वनांचल कॉलेज में पड़ा है जहां लगभग 241 बच्चे परीक्षा दे रहे हैं.
परीक्षा देने आये परीक्षार्थी तब हक्का-बक्का रह गये, जब उन्हें बताया गया कि केआइटी के द्वारा ही परीक्षार्थियों को परीक्षा से रोके जाने को लेकर एक पत्र आया है. कई छात्रों ने केआइटी के इस कदम की आलोचना की और कुछ देर तक हंगामा भी किया.जब इस मामले को लेकर झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलोजी के परीक्षा नियंत्रक से बात की गयी तो किसी भी स्थिति में केंद्राधीक्षक को परीक्षा लेने का निर्देश दिया गया. इस मामले को लेकर काफी देर तक हंगामा होता रहा.
वनांचल कॉलेज परीक्षा केंद्र के केंद्राधीक्षक निर्मल शाही ने बताया कि परीक्षार्थियों को परीक्षा से रोकने के लिए एक पत्र केआइटी से प्राप्त हुआ था. यह पत्र प्राचार्य सुरेश प्रसाद वर्मा के नाम से जारी किया गया और कहा गया कि वैसे परीक्षार्थियों को परीक्षा देने से रोका जाये जिनके एडमिट कार्ड में पूर्व के प्रिंसिपल प्रदीप कुमार सिन्हा के हस्ताक्षर हैं.पत्र में विवेकानंद ट्रस्ट के सचिन कुमार सिंह के एक आदेश का भी जिक्र किया गया है जिसमें उन्होंने प्रदीप कुमार सिन्हा को प्रिंसिपल पद से हटाने की बात कही है.
बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ न करें : एग्जामिनेशन कंट्रोलर
श्री शाही ने कहा कि उन्होंने तुरंत झारखंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलोजी के एग्जामिनेशन कंट्रोलर विपलव पांडेय से बातचीत की. उन्हें निर्देश प्राप्त हुआ कि किसी भी स्थिति में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ न हो. हर हालत में सभी बच्चों की परीक्षाएं लिये जायें. केंद्राधीक्षक ने कहा कि निर्देश के आलोक में बच्चों की परीक्षाएं शांतिपूर्ण ढंग से ली गयी है. बताया कि कुछ लोग निजी स्वार्थ में बच्चों के भविष्य से खेलना चाहते थे, लेकिन उन्होंने त्वरित कार्रवाई करते हुए परीक्षा आयोजित करने वाले यूनिवर्सिटी के एग्जामिनेशन कंट्रोलर से बात कर ली.ट्रस्ट का था निर्देश : सुरेश
इधर खुद को केआइटी का प्रिंसिपल बता रहे सुरेश प्रसाद वर्मा ने कहा कि उन्होंने ट्रस्ट के निर्देश के आलोक में वैसे परीक्षार्थियों को रोकने का निर्देश दिया था जिसके एडमिट कार्ड में पूर्व के प्रिंसिपल के हस्ताक्षर थे. उन्होंने कहा कि प्रदीप कुमार सिन्हा को प्रिंसिपल पद से हटा दिया गया था, जबकि एडमिट कार्ड में उनके हस्ताक्षर हैं. इधर परीक्षार्थियों का कहना है कि बिना पढ़ाये कॉलेज प्रबंधन फीस के लिए दबाव डाल रही थी और फीस नहीं दिये जाने के कारण उन्हें परीक्षा से वंचित करने का प्रयास किया गया है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है