जिला व सत्र न्यायाधीश षष्टम प्रीति कुमारी की अदालत ने जानलेवा हमला के आरोप में भाजपा नेता प्रदीप साहू को बरी कर दिया है. अदालत ने प्रदीप साहू को जेल से मुक्त करने का आदेश भी दिया है. अदालत के फैसले के बाद उनके अधिवक्ता महीप मयंक ने इसे न्याय की जीत बताया है. इस मामले में एक जून 2014 को बैजनाथ साहू ने के आवेदन पर निमियाघाट थाना में कांड अंकित किया गया था. प्रदीप साहू समेत 12 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था. अनुसंधान के बाद पुलिस ने इस मामले में अभियुक्तों के विरुद्ध आरोप पत्र दाखिल किया. उसके बाद इस मामले की सुनवाई सत्र न्यायालय में की गयी. ट्रायल के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से पांच लोगों की गवाही हुई थी, जबकि बचाव पक्ष की ओर से एक भी गवाही नहीं हुई थी. इस मामले में प्रदीप साव पर सूचक के साथ मारपीट करने का आरोप था. बहस के दौरान बचाव पक्ष के अधिवक्ता महीप ने कहा कि इस पूरे मामले में अभियुक्त के विरुद्ध ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं आया है कि उन्होंने जान मारने की नीयत से सूचक अथवा अन्य किसी व्यक्ति पर घातक हमला किया था. इस मामले में यह सामने आया कि प्रदीप साहू एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं, उन्होंने सूचक बैजनाथ और उनके भाई के बीच हुई जमीन विवाद में मामले को सुलझाने की कोशिश की थी. उन्होंने यह भी कहा कि प्रदीप ने दोनों पक्षों के बीच हुए विवाद के दौरान सच्ची बात कही और मामले को निपटाने का प्रयास किया. इसके बाद सूचक ने उन्हें भी अभियुक्त बना दिया था. अभियोजन पक्ष से अपर लोक अभियोजक ने कहा कि अभियुक्त ने प्राण घातक हमला किया था, इसलिए ये कठोर दंड के भागी हैं. लोक अभियोजक ने अदालत से यह भी कहा कि पूर्व में इस मामले में न्यायालय ने दो लोगों को दोषी पाया है, इसलिए इस अभियुक्त को भी दंड मिलना चाहिए. दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अदालत ने प्रदीप साहू को बाइज्जत रिहा कर दिया. वह इस मामले में न्यायिक हिरासत में थे, जिन्हें जेल से मुक्त करने का आदेश अदालत ने दिया है. अदालत के फैसले के बाद प्रदीप साहू के परिजनों में हर्ष है.
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