Giridih News: बिरनी प्रखंड में संचालित सरकारी पशु अस्पताल में पशु चिकित्सक के साथ-साथ संसाधनों की कमी से पशुपालक किसान परेशान हैं. अस्पताल में सिर्फ एक डॉक्टर हैं, जिनके जिम्मे बिरनी के साथ धनवार व डोरंडा का भी प्रभार है. साथ ही विभागीय कार्य की जवाबदेही भी रहती है. इस वजह से पशु चिकित्सक पूरा समय बिरनी प्रखंड के पशु अस्पताल में नहीं दे पाते हैं. इससे परेशान पशु पालक किसान निजी खर्च कर स्थानीय स्तर या फिर कृत्रिम गर्भाधान करनेवाले से पशु का इलाज कराने को मजबूर हैं. पशुपालक सुरेंद्र सिंह, पंकज यादव, भीम राम, पप्पू मोदी, महेश यादव, गंगो महतो समेत कई लोगों ने बताया कि पशु अस्पताल की स्थिति मरियल हो गयी है. अस्पताल में किसी तरह की व्यवस्था नहीं है. पशु के बीमार पड़ने पर स्थानीय स्तर पर निजी प्रैक्टिशनर से दवा खरीद कर उसका इलाज करवाते हैं. कहा कि डाक्टर के नहीं रहने से समुचित इलाज नहीं हो पाता है.
पशु अस्पताल में कर्मियों की भी है भारी कमी :
बताया जाता है कि बिरनी पशु अस्पताल में न तो कंपाउंडर हैं और न ही सफाई कर्मी. इस वजह से भी अधिकांश समय अस्पताल में ताला लटका रहता है. इससे लोगों को काफी दिक्कत होती है. इतना ही नहीं कृत्रिम गर्भाधान से जुड़े एक डॉक्टर ने नाम नही छापने की शर्त पर बताया कि अस्पताल में सरकार द्वारा जो दवा भेजी जाती है, उसकी गुणवत्ता काफी निम्न स्तर की होती है. इससे जानवर को फायदा नहीं मिल पाता है और परेशान किसान महंगे दाम पर दवा बाजार से खरीदने को मजबूर रहते हैं. प्रभारी पशु चिकित्सा पदाधिकारी मृत्युंजय सिंह ने बताया कि बिरनी, धनवार और डोरंडा का पशु अस्पताल भी उन्हें ही देखना पड़ता है. उनके पास कोई अतिरिक्त कर्मी नहीं हैं, इसलिए परेशानी होती है. सरकार द्वारा जो व्यवस्था दी गयी है, उसके आधार पर अस्पताल को संचालित किया जा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है