गिरिडीह जेल में पहली बार उसे 13 अप्रैल, 2022 को लाया गया था. उस दौरान उसने जेल के ही कुछ अपराधियों से मिलकर जेलर की हत्या की साजिश रच डाली थी. इसी उद्देश्य से उसने जेलर प्रमोद कुमार के उपर जानलेवा हमला भी करवाया था, लेकिन श्री प्रमोद बाल-बाल बच गये थे.
इसके अलावे गिरिडीह के औद्योगिक क्षेत्र में वह दहशत दहशत फैलाकर रंगदारी वसूली की पृष्ठभूमि तैयार कर रहा था. एक ओर जहां जेल अधिकारियों को धमकी देकर लोगों में दहशत फैला रहा था. वहीं जेल के बाहर आपराधिक वारदात के जरिये लोगों में भय का माहौल भी कायम कर रहा था.सच तो यह है कि कई राज्यों के लिए आतंक बना अमन साहू मारा तो गया, लेकिन अब भी इस गिरोह के कई सदस्य जेल के बाहर घूम रहे हैं. इसमें से कई हार्डकोर अपराधी हैं जो अमन साहू के स्थान पर कब्जा करना चाहेंगे. अमन का करीबी मयंक का इसपर नजर है. इस गिरोह के हार्डकोर सदस्यों को गिरफ्तार करना भी पुलिस के लिए चुनौती है.
जेल सुप्रीटेंडेंट हिमानी प्रिया को जान मारने की दी थी धमकी
जेल सुप्रीटेंडेंट हिमानी प्रिया और उनके परिजनों को जान मारने की उसने धमकी भी दी थी. वह जेल मेनुअल से अलग हटकर जेल के अंदर सुविधाएं चाहता था. 2022 में भी जेल सुप्रीटेंडेंट अनिमेष चौधरी और जेलर प्रमोद कुमार को न सिर्फ जान से मारने की धमकी दी थी. बल्कि जेल सुप्रीटेंडेंट अनिमेष चौधरी से दो करोड़ रुपये रंगदारी की भी मांग की थी.
जेल के अंदर अपना दबदबा कायम करने के लिए उसने जेलर पर हमला करवाया था. इसके बाद उसे अन्यत्र शिफ्ट कर दिया गया. पुन: 20 जून, 2024 को उसे गिरिडीह केंद्रीय कारा लाया गया. इस बार भी उसने प्रतिबंधित सुविधाएं हासिल करने के लिए जेल सुप्रीटेंडेंट हिमानी प्रिया को न सिर्फ धमकी दी थी, बल्कि उनके परिवार पर हमला करने के लिए देवघर में स्थित उनके ससुराल की रैकी भी करवायी.उसके इन गतिविधियों से जेल की सुरक्षा पर ही सवाल खड़ा हो गया था. अंतत: जेल सुप्रीटेंडेंट समेत गिरिडीह के डीसी और गिरिडीह के एसपी ने अमन साहू को दूसरे जेल में शिफ्ट करने के लिए वरीय अधिकारियों को पत्र लिखा और फिर उसे 21 जुलाई को चाईबासा की जेल में शिफ्ट कर दिया गया.
यह गिरोह झारखंड के साथ-साथ बिहार, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकार के लिए सर दर्द बना हुआ था. जिस जेल में भी रहता था, वहां दहशत कायम करने के लिए अपने हरकतों से बाज नहीं आता था.जेल के अंदर लग्जरी जीवन जीना चाहता था अमन
कुख्यात अमन साहू जेल में बंद रहने के बाद भी वह लग्जरी जीवन जीना चाहता था. यही कारण है कि वह जिस जेल में बंद रहता था, वहां के अधिकारियों को भयभीत करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ता था. वह चाहता था कि जेल के अंदर वह अन्य कैदियों के संपर्क में रहे. उसके अलावे जेल के अंदर गांजा व मोबाइल की भी सुविधा चाहता था. इसके लिए उसने कई बार गिरिडीह जेल के सुप्रीटेंडेंट से बात भी की थी.जेल के अंदर खाता था ड्राइ फ्रूट्स
जेल के अंदर वह नॉन वेज के अलावे ड्राइ फ्रूट्स खाना पसंद करता था. बाहर से सूखा भोजन के अलावे अन्य भोजन की अनुमति नहीं थी. इसी कारण वह जेल के अंदर बने नॉन वेज तो खाता था, लेकिन बाहर से उसे ड्राइ फ्रूट्स भेजे जाते थे.रांची जिला के बुड़मू थाना क्षेत्र अंतर्गत मतवे गांव का रहने वाला अमन साहू निरंजन साव का बेटा था. उससे मिलने के लिए गिरिडीह जेल में उसकी मां और उसके भाई आया करते थे. उसकी मां ने भी गिरिडीह जेल सुप्रीटेंडेंट से घर का भोजन देने के लिए अनुमति मांगी थी. जेल मेनुअल के अनुसार उसे सिर्फ सूखा भोजन देने की अनुमति मिली. उसकी मां प्राय: बिस्किट के अलावे ड्राइ फ्रूट्स उपलब्ध कराती थी.
सोने के जेवर का शौकीन था अमन
कुख्यात अमन गहनों के जेवर के साथ-साथ चप्पल व जूतों का भी शौकीन था. सोने के जेवर वह पहना करता था. जब वह 20 जून, 2024 को गिरिडीह जेल आया था तो उस दौरान उसने गले में मोटी सोने का चैन, सोने की अंगूठियां, प्लेटिनम का ब्रेसलेट आदि पहन रखा था.
जेल के सूत्रों ने बताया कि लगभग 20 लाख से भी ज्यादा के जेवर उसके शरीर में थे. हालांकि जेल प्रशासन ने उसे इन गहनों को जेल के अंदर ले जाने की इजाजत नहीं दी. बताया जात है कि जेवर के अलावा वह जूतों और चप्पलों का भी शौक रखता था. जब उसे गिरिडीह जेल शिफ्ट किया गया था तो उसने छह जोड़ी चप्पल व जूता भी साथ लाया था.इन जूतों और चप्पलों को वह जेल के अंदर ले जाने के लिए कई बार जेल अधिकारियों से बात भी की थी. लेकिन उसे सिर्फ दो जोड़ी चप्पल और दो बाल्टियां जेल के अंदर ले जाने की इजाजत मिली. वह आठ बाल्टियां जेल के अंदर ले जाना चाहता था. जब वह गिरिडीह जेल में बंद था तो सेल के अंदर उसे एक टिफिन दी गयी थी, लेकिन वह बार-बार चार लेयर वाला हॉटपॉट की मांग किया करता था.
झारखंड की भौगोलिक बनावट का करता था अध्ययन
जब वह गिरिडीह जेल में बंद था तो जेल के अंदर वह अखबारों के साथ-साथ किताबों की भी मांग किया करता था. उसे जेल के अंदर दो अखबार पढ़ने दी जा रही थी. इसके अलावे वह लाइब्रेरी से वैसी किताबें लेकर उसका अध्ययन करता था.
ताकि झारखंड की भौगोलिक स्थितियों के बारे में जान सके. सूत्रों का कहना है कि जेल के अंदर बंद रहने के बाद भी वह बाहर की खबरों पर नजर बनाये रखता था. यही कारण है कि उसने सभी अखबारों की मांग किया करता था.आखिरकार आतंक का अंत हुआ : हिमानी प्रिया
जेल सुप्रीटेंडेंट हिमानी प्रिया ने कहा कि आखिरकार आतंक का अंत हुआ. श्रीमती प्रिया कहती है कि न सिर्फ उन्हें जान मारने की धमकी दी गयी थी, बल्कि उनके परिवार पर हमले की कोशिश की गयी थी. बताया कि जब उन्हें जेल के अंदर अमन साहू को प्रतिबंधित सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए मयंक सिंह ने फोन पर धमकी दी तो उन्होंने उस वक्त भी कहा था कि अमन साव को संदेश दे दें कि यदि वह किसी भी तरह की हरकत करता है तो अमन साहू को अमन सिंह बनने में देर नहीं लगेगा.बता दें कि अमन सिंह भी पुलिस मुठभेड़ में मारा गया था. अमन साहू के पुलिस मुठभेड़ में मारे जाने के बाद अपनी पहली प्रतिक्रिया में उन्होंने बताया कि इस खबर को सुनकर उन्हें बेहद तसल्ली हुई.
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