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सफाई का पहाड़ा निगम को पड़ सकता है भारी
गिरिडीह : स्वच्छ सर्वेक्षण के सिटीजन फीड बैक में देश भर में अव्वल रहे गिरिडीह नगर निगम का हाल यह है कि अब स्वच्छता को लेकर उसके सरोकार सवाल के घेरे में है. क्षेत्र में अवस्थित सभी आवासों में एक वर्ष बाद भी डस्टबिन का वितरण नहीं हो पाया है. इसको लेकर कई बार वार्ड […]
गिरिडीह : स्वच्छ सर्वेक्षण के सिटीजन फीड बैक में देश भर में अव्वल रहे गिरिडीह नगर निगम का हाल यह है कि अब स्वच्छता को लेकर उसके सरोकार सवाल के घेरे में है. क्षेत्र में अवस्थित सभी आवासों में एक वर्ष बाद भी डस्टबिन का वितरण नहीं हो पाया है. इसको लेकर कई बार वार्ड पार्षदों समेत सामाजिक संगठनों द्वारा आवाज उठाने के बाद भी सूखा-गिला कचरा रखने के लिए आवासों में डस्टबिन नहीं दिया जा सका है.
विचित्र बात यह है कि 20 साल के इस प्रोजेक्ट की लागत करीब 1.7 अरब है. इस गंभीर और अहम प्रोजेक्ट के कार्यान्वयन का हाल यह है कि नगर आयुक्त, मेयर व डिप्टी मेयर के फरमानों पर अमल नहीं हो पाया है.
फरमान की भी परवाह नहीं
जानकारी के मुताबिक आकांक्षा वेस्ट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड को घर-घर से कूड़ा संग्रहण, कूड़ा का परिवहन, डस्टबिन वितरण, सॉलिड वेस्ट का प्रोसेसिंग प्लांट, सेनिटरी लैंडफील्ड का प्रोजेक्ट बीस वर्षों के लिए दिया गया है. यह प्रोजेक्ट 168.93 करोड़ रु का है. नगर निगम द्वारा ट्रांसफर स्टेशन सह प्रोसेसिंग प्लांट एवं लैंड फील्ड को जमीन उपलब्ध करा दी गयी है.
कचरा से खाद बनाने के लिए प्रोसेसिंग प्लांट को 15 नवंबर तक चालू कराना था. इस निमित पिछले दिनों सूडा के निदेशक अमित कुमार ने कंपनी को निर्देश भी दिया था. बावजूद इसके यह चालू नहीं हो पाया. यही नहीं, नगर निगम की तमाम बैठकों में मामला उठने की स्थिति में नगर आयुक्त गणेश कुमार, मेयर सुनील पासवान भी कंपनी को डोर टू डोर कचरा संग्रह के लिए आवासों में डस्टबिन बांटने का निर्देश देते रहे हैं. बावजूद अब तक सर्वे के आलोक में 36 वार्डों में निर्धारित 27 हजार 636 आवासों में से मात्र 9111 आवासों में ही डस्टबिन का वितरण किया जा सका है.
कचरा निष्पादन को लेकर अगंभीरता
सूत्रों के मुताबिक डस्टबिन का वितरण नहीं होने से कई बार कार्य एजेंसी आंकाक्षा को फटकार भी लगी. यहां तक कि इस बाबत नगर आयुक्त ने मामले को गंभीरता से लेते हुए शो-कॉज भी किया है. बताया जाता है कि 36 वार्डों में आकांक्षा को एक-एक वाहन उपलब्ध कराना था, जबकि अब तक सिर्फ 28 वार्डों में ही वाहन कचरा कलेक्शन का काम कर रहा है.
बता दें कि पिछले वर्ष स्वच्छ सर्वेक्षण में गिरिडीह नगर निगम को सिटीजन फीड बैक में देश भर में पहला स्थान प्राप्त हुआ था, लेकिन इस बार निगम को कड़ी परीक्षा से गुजरना होगा. संसाधनों की अनुपलब्धता से स्वच्छता सर्वेक्षण पर भी असर पड़ने की आशंका व्यक्त की जा रही है. इधर, वार्ड नंबर 17 की पार्षद आरती देवी ने कहा कि बक्सीडीह रोड, चंदौरी रोड, मकतपुर, डॉक्टर लेन में अवस्थित किसी भी घर में डस्टबिन नहीं बांटे गये हैं. इससे लोगों को परेशानी हो रही है. इस दिशा में निगम को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.
आकांक्षा को कई बार दिया गया है निर्देश : मैनेजर
नगर निगम के नगर प्रबंधक प्रशांत भारतीय ने कहा कि शहरी क्षेत्र के लगभग 27 हजार आवासों में से मात्र नौ हजार आवासों में ही डस्टबिन बंट पाया है. इस बाबत कई बार नगर आयुक्त ने आकांक्षा कंपनी को निर्देश व शो-कॉज भी किया है. उन्होंने कहा कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन में बेहतरी का भी निर्देश दिया गया है. इसके अलावे प्रोसेसिंग प्लांट 15 नवंबर तक चालू होना था जो नहीं हो पाया. उन्होंने कहा कि चालू वर्ष में स्वच्छ सर्वेक्षण में गिरिडीह नगर निगम की उत्कृष्टता के प्रयास किये जा रहे हैं.
अगले सप्ताह से डस्टबिन बंटेंगे : कंसल्टेंट
नगर विकास विभाग द्वारा नियुक्त प्रोजेक्ट मैनेजमेंट कंसल्टेंट अनिल कुमार शर्मा ने कहा कि अगले सप्ताह से आकांक्षा की ओर से सभी घरों में डस्टबिन बंटना शुरू हो जायेगा. उन्होंने कहा कि पूर्व में 30 वार्ड थे. निगम बनने के बाद इसकी संख्या 36 हो गयी. नये वार्डों के आवासों में भी डस्टबिन बंटेंगे. उन्होंने कहा कि प्रोसेसिंग प्लांट को चालू कराने की कोशिश हो रही है. दिसंबर में यह चालू हो जायेगा. कहा कि डोर टू डोर कचरा कलेक्शन की मॉनीटर्रिंग को ले आरएफआइडी स्थापित की जानी है. काफी घरों में इसे लगाया गया है. शेष घरों में भी प्रक्रिया पूरी करने के बाद इसे लगाया जायेगा.
कल्याण केंद्र की बदबू से मरीज परेशान
शिशु से कोमल व संवेदनशील कुछ नहीं होता. पर उसकी सेहत को लेकर ही अनदेखी हो तो स्वास्थ्य तंत्र की इससे अधिक गैरजिम्मेदारी की कोई मिसाल नहीं होगी. गिरिडीह के चैताडीह में शिफ्ट एसएनसीयू का रखरखाव इस व्यवस्था के लिए बड़ा सवाल है.
गिरिडीह. चैताडीह स्थित मातृ-शिशु स्वास्थ्य कल्याण केंद्र में सफाई व्यवस्था पूरी तरह से चौपट है. यहां एसएनसीयू की सफाई तो नियमित हो रही है, पर प्रसव के लिए आयी गर्भवती महिलाओं के कमरे और बाथरूम की सफाई शायद ही कभी होती है. प्रसूतियों के वार्डों की सफाई को लेकर कोई गंभीरता नहीं दिखती है. अस्पताल के लगभग सभी वार्डों की स्थिति एक जैसी बनती जा रही है.
मरीजों के साथ आये परिजनों द्वारा फेंके गये कचरे और उसकी सफाई की अनदेखी से अस्पताल की स्थिति जर्जर होती जा रही है. बाथरूम की गंदगी भी अब वार्ड तक पहुंचने लगी है. उसकी बदबू से आम जन भी परेशान हैं.
रजिस्ट्रेशन काउंटर के पास बन गया पिकदान
अस्पताल के निबंधन काउंटर के पास गंदगी के कारण वहां पिकदान बन गया है. लोग आते हैं और थूककर चले जाते हैं. फर्श रंगीन हो गया है. उसकी बदबू भी दूर-दूर तक फैल रही है. इससे ठीक थोड़ा आगे लेडीज बाथरूम है जिसका पानी बहकर बरामदे से वार्ड तक आ है. इसमें पेशाब भी बहकर बरामदे में आ रहा है. इसकी बदबू से वहां का वातावरण दूषित हो रहा है.
सफाई को लेकर कहीं गंभीरता नहीं
मरीज के परिजनों की शिकायतों का कोई नोटिस नहीं लिया जाता है. अस्पताल की सफाई वहां के सफाई कर्मियों की मर्जी से होती है. सफाई कभी सुबह 10 बजे होती है तो कभी 12 बजे तो कभी अपराह्न के ती बजे. सफाई कर्मी आते भी हैं तो केवल पोछा लगाकर चले जाते हैं. न तो फिनाइल मारा जाता है और न बेहतर सफाई होती है. इससे न तो वहां की बदबू जाती है और न सफाई झलकती है. ऐसे में वार्डों में भी मरीजों का रहना मुश्किल हो गया है.
सफाई के लिए कर्मी नियुक्त : सीएस
सिविल सर्जन डॉ. रामरेखा प्रसाद ने कहा कि मातृ-शिशु कल्याण केंद्र चैताडीह की सफाई के लिए कुल 10 सफाई कर्मी नियुक्त हैं. इन सफाई कर्मियों को अस्पताल की नियमित सफाई करनी है. यदि वे सफाई नहीं करते हैं तो उन पर कार्रवाई होगी.
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