प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में डंडई के बालेखाड़ गांव के लोगों ने रखीं अपनी समस्याएं – गांव ने न ही रोजगार का साधन और न ही सिंचाई की व्यवस्था – शासन-प्रशासन से कई बार गुहार लगाने के बावजूद कोई पहल नहीं रमेश विश्वकर्मा, डंडई राज्य गठन के बाद आदिवासी बाहुल्य गांवों की तस्वीर बदलने के दावे तो खूब हुए, लेकिन हकीकत निराश करने वाली है. डंडई प्रखंड के पचौर पंचायत स्थित बालेखाड़ गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. ग्रामीणों ने बताया कि गांव में अब तक पक्की सड़क नहीं बनी. बरसात में कच्ची सड़क कीचड़युक्त हो जाती है, जिससे वाहनों की आवाजाही ठप हो जाती है. लोग पंचायत भवन के पास गाड़ियां खड़ी कर पैदल गांव तक जाते हैं. गांव में न रोजगार का साधन है, न सिंचाई की व्यवस्था. महिलाएं जंगल से दातुन लाकर बेचती हैं, जबकि पुरुष रोजी-रोटी की तलाश में पलायन कर जाते हैं. ग्रामीणों का कहना है कि कई बार प्रशासन से गुहार लगाने के बावजूद कोई ठोस पहल नहीं हुई. ग्रामीणों ने कहा कि अगर महिलाओं को स्वरोजगार से जोड़ने की योजना लागू की जाये तो वे आत्मनिर्भर हो सकती हैं, लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ध्यान नहीं दिया गया. प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम में ग्रामीणों ने बताया कि धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के तहत अब तक गांव में दो बार ग्रामसभा की जा चूकी है, हालांकि अभी तक काम शुरू नहीं हुआ हैं पर लोगों को उम्मीद हैं कि शायद इस कार्यक्रम से कुछ बदलाव हो. ……………. जरा इनकी भी सुनें बालेखाड़ में सड़क की समस्या सबसे प्रमुख: संतोष सिंह ग्रामीण संतोष सिंह ने कहा कि बालेखाड़ गांव की सबसे प्रमुख समस्या सड़क की है. साथ ही सिंचाई व शुद्ध पेयजल की व्यवस्था का अभाव है. गांव के लोग मजदूरी कर अपना जीवन चलाते हैं. बालेखाड़ में धरती आबा जनजातीय उत्कर्ष अभियान के तहत दो बार ग्रामसभा का आयोजन हुआ, जिसमें जिला से लेकर प्रखंड के कई अधिकारी भी शामिल थे. लेकिन अब तक विकास का कार्य शुरू नहीं हुआ. गांव के लोग पलायन करने को मजबूर: बिंदू कुमार बिंदू कुमार रवि ने कहा गांव के मजदूर पलायन करने को मजबूर हैं. जिसका प्रमुख कारण गांव में रोजगार की पर्याप्त व्यवस्था नहीं होना है. गांव की महिलाएं जंगलों से दातुन, पत्ता लाकर उसे बाजारों में बेचती हैं, जिससे वह अपने परिवार का भरण पोषण करती हैं. इस गांव के लोगों को सरकारी योजना का अपेक्षित लाभ नहीं मिल रहा है. जनप्रतिनिधियों ने इल गांव की उपेक्षा की : निलकंठ सिंह ग्रामीण निलकंठ सिंह ने कहा कि जनप्रतिनिधियों ने भी इस गांव की उपेक्षा की है. चुनाव के वक्त वादे किये जाते हैं पर चुनाव जीतने के बाद कोई सुध लेने भी नहीं आता. उन्होंने कहा कि पढ़े लिखे लोगों के लिए भी यहां रोजगार नहीं हैं. इसके कारण यहां के लोग पलायन करने को मजबूर हैं. शासन प्रशासन के अपेक्षित ध्यान के बिना गांव की दशा नहीं बदलेगी. बालेखाड़ के कई जरूरतमंद पेंशन के लाभ से वंचित: नगीना परहिया पूर्व पंचायत समिति सदस्य नगीना परहिया ने कहा कि राज्य सरकार सर्वजन पेंशन योजना के तहत सभी वृद्धों को पेंशन उपलब्ध करा रही है, लेकिन बालेखाड़ गांव में आज भी कई जरूरतमंद इस लाभ से वंचित हैं. प्रशासन को इसकी सूचना भी दी गयी है, फिर भी आज तक इस पर अपेक्षित कार्रवाई नहीं की गयी. यहां के लोगों को काफी परेशानी होती है. प्रभात खबर का कार्यक्रम ग्रामीणों के लिए सशक्त मंच: सूबेदार राम बालेखाड़ गांव के सूबेदार राम ने कहा कि प्रभात खबर ने ग्रामीणों की समस्याओं दूर करने के लिए एक सशक्त मंच उपलब्ध कराया हैं. इससे ग्रामीणों की समस्या शासन प्रशासन तक पहुंचेगी और समस्या निराकरण की दिशा में काम होगा. जनहित में ऐसे आयोजन जरूरी हैं. पक्की सड़क व नाली नहीं होने से होती है परेशानी: जितेंद्र कुमार जितेंद्र कुमार रवि ने कहा कि गांव में पक्की सड़क व नाली निर्माण के लिए कई बार विधायक को कहा गया है. विधायक की ओर से आश्वासन भी मिला पर परिणाम शून्य रहा. बरसात में कच्ची सड़क से आवागमन करने में लोगों को काफी परेशानी होती है. सड़कें कीचड़ में तब्दील हो जातीं हैं पर इसपर ध्यान देना वाला कोई नहीं है.
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