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कलम की जगह मिट्टी सान रहे हैं बच्चे

रंका प्रखंड के गौरगौड़ा गांव के दलित बच्चों का हाल रंका : रंका प्रखंड के गौरगाड़ा ईंट भठ्ठा में बाल मजदूरों से काम कराया जा रहा है. ये बच्चे हाथ में कॉपी-कलम की जगह ईंट लिए हुए हैं. बच्चे स्कूल नहीं जाकर दिन भर ईंट बनाने में लगे रहते हैं. मजदूर ललन भुइयां, श्रवण भुइयां […]

रंका प्रखंड के गौरगौड़ा गांव के दलित बच्चों का हाल

रंका : रंका प्रखंड के गौरगाड़ा ईंट भठ्ठा में बाल मजदूरों से काम कराया जा रहा है. ये बच्चे हाथ में कॉपी-कलम की जगह ईंट लिए हुए हैं. बच्चे स्कूल नहीं जाकर दिन भर ईंट बनाने में लगे रहते हैं. मजदूर ललन भुइयां, श्रवण भुइयां आदि ने बताया कि दो जून की रोटी के लिए पत्नी व बच्चे के साथ मिल कर ईंट भठ्ठा में काम करते हैं. दिनभर 1000 ईंट बनाते हैं, तो 600 रुपये मजदूरी मिलती है.
ललन भुइयां अपनी पत्नी माया देवी, पुत्री चंदनी कुमारी (13साल), पुत्र कुंदन कुमार (10साल) तथा श्रवण भुइयां अपनी पुत्री रुपा कुमारी (11साल), मंजु कुमारी (नौ साल) के साथ मिल कर प्रतिदिन ईंट बनाते हैं. मजदूरों ने बताया कि दिन भर 1000 ईंट बनाते हैं, तो 600 रुपये मजदूरी मिलती है. इतने ईंट बनाने के लिए पत्नी व बच्चों का सहारा लेना पड़ता है.
तब दिनभर में 1000 ईंट बन पाता है. जब तक बच्चों के साथ मिल कर काम नहीं करेंगे, तब तक दो जून की रोटी नहीं मिल पायेगी. मजदूरों ने बताया कि गांव में मनरेगा से विकास की कोई योजना नहीं चलने के कारण बीवी व बच्चों के साथ इतना कम मजदूरी में काम करना पड़ रहा है.
उन्होंने बताया कि बच्चे का नाम गौरगाड़ा उत्क्रमित मध्य विद्यालय में नामांकन है. चंदनी वर्ग छह, रुपा वर्ग पांच, कुंदन वर्ग दो तथा मंजू वर्ग चार में पढ़ती है. लेकिन उनके साथ काम करने के चलते विद्यालय नहीं जा पाते हैं. मजदूरों ने बताया कि गरीबी के चलते अपने बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे हैं. नाबालिग बाल मजदूर चंदनी व रुपा ने बताया कि उनके माता-पिता गरीब हैं. इसके चलते मजदूरी करनी पड़ती है. वे सभी गौरगाड़ा के अखिलेंद्र पासवान के ईंट भठ्ठा में
काम करते हैं.

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