सरैयाहाट. सरैयाहाट बाजार स्थित ठाकुरवाड़ी में रामकथा नवाह परायण महायज्ञ के छठे दिन कथा वाचक रविशंकर ठाकुर ने कहा कि ईश्वर ने अगर आपको धन दिया है और उस धन पर अभियान करते हैं या उस धन का शुभ-कर्म में उपयोग नहीं करते हैं तो ईश्वर आपके धन को किसी न किसी विधि से ले भी सकते हैं. कहा कि जो देना जानता है वो लेना भी जानता है. कहा कि जो पुत्र अपने माता-पिता का बिना विचारे आदेश का पालन करता है, जो शिष्य गुरु का बिना विचारे उनके कथनों को मानता है. वैसे पुत्र व शिष्य पर कितना भी विकट परिस्थिति आती है तो वह टल जाता है. उन्होंने कहा कि प्रेम तब बरकरार रहता है, जब किसी की याद हमेशा बनी रहती है. रघुनाथ जी जब वनवास गये थे तो उन्हें अयोध्या की याद आती थी. तभी उनके आंखों से आंसू टपक पड़ते थे. लेकिन वे लक्ष्मण व सीता के समक्ष कभी आंसू नहीं बहने देते थे. यज्ञ को सफल बनाने में कमेटी सदस्य लगे हैं.
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