आह्वान. रांगा में हुई मोड़ेमांझी की बैठक, ओलचिकी से सभी विषयों की पढ़ाई शुरू करने की मांग
केजी से पीजी तक के संस्थानों में ओलचिकि से शुरू हो पढ़ाईसरकारी भवनों में नेमप्लेट भी ओलचिकि लिपि से लिखा जाये
प्रतिनिधि, मसलियाप्रखंड अंतर्गत रांगा गांव के संताल आदिवासियों ने केजी से पीजी तक सभी शिक्षण संस्थानों में ओलचिकी लिपि से सभी विषयों की पढ़ाई शुरू करने समेत विभिन्न मुद्दों को लेकर मोड़े मांझी की बैठक लखींद्र मरांडी की अध्यक्षता में की. संताली भाषा को प्रथम राजभाषा घोषित करने, राज्य के संताल बहुल क्षेत्र के सभी छुटे हुए सरकारी भवनों के नामपट्ट संताली के ओलचिकी लिपि से लिखने के मांग की. इन आदिवासियों का कहना था कि राज्य का गठन मुख्य रूप से आदिवासी समुदायों के सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास को ध्यान में रखते हुए किया गया था. राज्य बनने के 25 वर्षों के बाद भी आदिवासी समुदायों का संपूर्ण सामाजिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, शैक्षणिक और आर्थिक विकास अपेक्षित स्तर तक नहीं हुआ है. इसका मुख्य कारण संताल आदिवासी का शैक्षणिक स्तर निम्न होना है. इनके शैक्षणिक स्तर और जीवन स्तर को सुधारा जा सकता है.
सीएम व विधायक को सौंपेंगे मांग-पत्र
बैठक में निर्णय लिया कि बहुत जल्द मुख्यमंत्री और विधायकों के नाम मांग-पत्र समर्पित किया जायेगा. मौके में रूपेश सोरेन, अम्बिका मुर्मू, सुनील किस्कू, मंत्री, सोरेन, बालकिशोर हेंब्रम, लुखिन हेंब्रम, जयदेव मुर्मू, सुशील मरांडी, गोसाई सोरेन, वकील मरांडी, मोटा मरांडी, हीरामनि टुडू, किरण मुर्मू, राजेश हेंब्रम, सुमेश्वर मरांडी, पोरमे मुर्मू, राजेश टुडू, राजेंद्र हेंब्रम, अजय लाल टुडू, शुरू मुर्मू के साथ कई गांव के मांझी, जोगमंझी, नायकी, गुडित, पराणिक आदि उपस्थित थे.
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