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संताल परगना में 20 से 23 मार्च के बीच गरज के साथ हल्के दर्जे की बारिश का अनुमान

संताल परगना में 20 से 23 मार्च के बीच गरज के साथ हल्के दर्जे की बारिश का अनुमान है. अधिकतम तापमान लगभग पांच डिग्री सेल्सियस घटकर 31 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना जतायी गयी है.

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दुमका. उपराजधानी दुमका समेत पूरे संताल परगना में अगले चार दिनों के बीच गरज के साथ हल्के व मध्यम दर्जे की बारिश होने का पूर्वानुमान है. इससे अधिकतम तापमान में थोड़ी गिरावट होने की भी उम्मीद जतायी गयी है. बुधवार को दोपहर के वक्त अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम 20 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया. जारी पूर्वानुमान के मुताबिक इन चारों दिनों में छिटपुट बारिश से मौसम के मिजाज में जो बदलाव दिखेगा, उससे अधिकतम तापमान लगभग पांच डिग्री सेल्सियस घटकर 31 डिग्री सेल्सियस तक गिरने की संभावना जतायी गयी है. तेजी से बढ़ा है तापमान : पिछले बीस दिनों में संताल परगना में गरमी ने तेजी से दस्तक दी है. लंबे अरसे से बारिश न होने से भी लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है. दरअसल इलाके की अधिकांश नदियां सूखने लगी हैं. कुआं और तालाब तो पहले से ही जवाब देते दिख रहे थे. बड़ी तेजी से वैसे चापानल ने भी हांफना शुरू कर दिया है, जिनमें कम बोरिंग हुई है और जोन ड्राय माना जाता है. मौसम पूर्वानुमान आधारित कृषि सलाह : आनेवाले दिनों में वर्षा की संभावना को देखते हुए रबी की जो भी फसल अभी तैयार हो चुकी है, उसकी अविलंब कटाई कर लें. विभिन्न फसलों एवं सब्जियों में जल निकासी की सुविधा रखें. नमी में बढ़ोतरी की संभावना को देखते हुए फसल में किसी भी तरह की बीमारी को लेकर निगरानी रखें. उर्वरक का भुरकाव 23 मार्च के बाद ही मौसम साफ देखकर करें. रबी फसल की कटाई के पश्चात इच्छुक किसान आनेवाले दिनों में वर्षा का लाभ लेते हुए गरमा सब्जी की नर्सरी तैयार करें. लतर वाली सब्जियों जैसे खीरा, ककड़ी, कद्दू , कदीमा आदि में जिनका बढ़वार ज्यादा हो गया है, उसमें झांकी लगा दें, जिससे पत्तियों एवं फूलों का संपर्क सीधे मिट्टी से न हो सके. बारिश से आम, लीची व सहजन का मंजर-फूल झ़ड़कर गिर सकता है. ओलावृष्टि अगर होती है, तो इससे भी सब्जियों को नुकसान पहुंच सकता है. गेहूं की फसल को उसके मामा से बचाएं : कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक गेहूं की फसल इस समय दाना भरने की अवस्था में है. इस अवस्था में नमी की कमी नहीं होनी चाहिए, यह भी ध्यान रखना होता है. नमी की कमी से उपज में कमी आ सकती है. इसलिए किसानों के लिए यह जरूरी है कि फलन में दाना भरने की अवस्था रहने पर आवश्यकतानुसार सिंचाई अवश्य करें. किसानों को वैज्ञानिकों ने यह भी सलाह दी है कि वे गेहूं की फसल को गेहूं के मामा कहे जानेवाले फ्लेरिस माइनर से बचाएं. फ्लेरिस माइनर एक खर-पतवार है, जो गेहूं की फसल को प्रभावित करता है. इसके अलावा लूज स्मट से भी फसल को बचाने की जरूरत है. इससे ग्रसित बालियां काले चूर्ण का रूप ले लेती है और उसमें दाने नहीं बनते हैं. अगर ऐसी बालियां दिखे, तो किसानों को सावधानीपूर्वक उसे काटकर हटाने व उस कालू चूर्ण को जमीन पर गिराये बिना सावधानीपूर्वक नष्ट कर देना चाहिए.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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