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दुमका : बीएड में शुल्क बढ़ोतरी के मामले में विश्वविद्यालय के वरीय पदाधिकारी छात्रों से मुखातिब होने से परहेज कर रहे हैं. यह भी उग्र होते आंदोलन की एक बड़ी वजह है. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को उनकी बात सुननी चाहिए. छात्रों की समस्या का समाधान निकालना चाहिए. छात्रनेता श्यामदेव हेंब्रम […]
दुमका : बीएड में शुल्क बढ़ोतरी के मामले में विश्वविद्यालय के वरीय पदाधिकारी छात्रों से मुखातिब होने से परहेज कर रहे हैं. यह भी उग्र होते आंदोलन की एक बड़ी वजह है. छात्रों का कहना है कि विश्वविद्यालय के पदाधिकारियों को उनकी बात सुननी चाहिए. छात्रों की समस्या का समाधान निकालना चाहिए. छात्रनेता श्यामदेव हेंब्रम ने कहा कि यह मुद्दा शांत होनेवाला नहीं है. विश्वविद्यालय प्रशासन खुद ही हमें आंदोलन करने को विवश कर रहा है. विश्वविद्यालय को सरकार के साथ मिलकर कोशिश करनी चाहिए कि इस इलाके के संताल आदिवासी और गरीब छात्रों को कैसे शिक्षा मिले. इतना ज्यादा शुल्क बढ़ोतरी नाजायज है.
यह तो हमारे लिए मृत्युदंड के समान है. विश्वजीत बास्की ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन हठधर्मिता अपना रहा है. संताल परगना के लोगों की आर्थिक स्थिति का भी मूल्यांकन होना चाहिए और उस अनुरूप ही फी निर्धारित होनी चाहिए. अन्यथा प्रशासन को चाहिए कि वह एसटी-एससी छात्रों के फी में सीधे सीधे पचास प्रतिशत की रियायत दे दे.
छात्रा बबीता बेसरा ने कहा कि इतना ज्यादा शुल्क एक बार में बढ़ाना कतई सही नहीं है. इतना फी तो हमारे अभिभावक खेत बेचकर भी नहीं दे सकेंगे. शुल्क ऐसा होना चाहिए कि गरीब छात्रों को भी ऐसे कोर्स में नामांकन लेने का अवसर मिल सके.
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