Neeraj Singh Murder Case: नीरज सिंह हत्याकांड में बरी होने के बाद झरिया के पूर्व भाजपा विधायक संजीव सिंह की ओर से पूर्व में दायर आवेदन पर जिला एवं सत्र न्यायाधीश दुर्गेश चंद्र अवस्थी की अदालत ने गुरुवार को अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी मुकदमे का संचालन कर रहे अपर लोक अभियोजक सत्येंद्र कुमार राय व झारखंड सरकार के विरुद्ध नोटिस जारी करने का आदेश दिया. अदालत ने सुनवाई की अगली तारीख 8 सितंबर निर्धारित कर दी है.
20 अगस्त को संजीव सिंह ने दायर की थी याचिका
संजीव सिंह ने 20 अगस्त को दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 340 के तहत आवेदन दायर कर तीनों के खिलाफ शिकायत दर्ज कर जांच और कार्रवाई करने की गुहार लगायी थी. इस बाबत संजीव के अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि उपरोक्त तीनों के विरुद्ध अदालत में धारा 193, 194 भारतीय दंड संहिता के तहत मुकदमा चलाने की प्रार्थना की गयी है.
हत्या जैसे जघन्य अपराध में हो सकती है फांसी तक की सजा
हत्या जैसे जघन्य अपराध, जिसमें दोषसिद्धि होने पर आजीवन कारावास या फांसी तक की सजा हो सकती है. संजीव सिंह को सजा दिलाने के लिए अनुसंधानकर्ता निरंजन तिवारी, अपर लोक अभियोजक सत्येंद्र कुमार राय ने सूचक अभिषेक सिंह के साथ मिलकर फर्जी सबूत तैयार किया. उसे अदालत में पेश किया.
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अनुसंधानकर्ता ने मोबाइल का फर्जी सीडीआर बनाया
उन्होंने बताया कि अनुसंधानकर्ता ने आदित्य राज के मोबाइल का फर्जी सीडीआर बनाया, ताकि उसे घटनास्थल पर दिखाया जा सके. इस बात की फर्जी इंट्री केस डायरी में की और कोर्ट में भी झूठा बयान दिया, ताकि संजीव सिंह को सजा दिलवायी जा सके. इतना ही नहीं 13 अगस्त 2025 को अपर लोक अभियोजक सत्येंद्र कुमार राय ने सूचक के साथ मिलकर संजीव सिंह के मोबाइल का दो पन्ने का टावर लोकेशन वाला फर्जी सीडीआर अदालत में दायर किया, जिसमें संजीव सिंह का टावर लोकेशन नहीं है.
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लोक अभियोजक का काम अभियुक्त को सजा दिलाना नहीं
यह प्रदर्श 16/4 है. जबकि प्रदर्श 16/4 वह दस्तावेज था, जिसे नोडल ऑफिसर के द्वारा कोर्ट में साबित किया गया था. इसमें नोडल ऑफिसर आनंद माधव मिश्रा ने कहा था कि 15 मार्च 2017 से लेकर 23 मार्च 2017 तक आदित्य राज का लोकेशन गिरिडीह था. अधिवक्ता मोहम्मद जावेद ने बताया कि लोक अभियोजक का काम कभी भी किसी अभियुक्त को सजा दिलाने का नहीं होता, बल्कि न्याय वितरण व्यवस्था में सहयोग करना होता है.
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