देश के दो सबसे पुराने इंजीनियरिंग और राष्ट्रीय महत्व के प्रतिष्ठित तकनीकी शिक्षण संस्थान आइआइटी आइएसएम और आइआइटी रुड़की शोध के क्षेत्र में एक साथ मिल कर काम करेंगे. इसको लेकर दोनों संस्थानों के मध्य हाल में ही एमओयू पर हस्ताक्षर किया गया है. दोनों संस्थानों ने संयुक्त पीएचडी कार्यक्रम शुरू करने के लिए एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये हैं. इस पहल का उद्देश्य अनुसंधान के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग को बढ़ावा देना और दोनों संस्थानों की विशेषज्ञता का लाभ उठाना है. आइआइटी आइएसएम की ओर से इस एमओयू पर निदेशक प्रो सुकुमार मिश्रा ने और आइआइटी रुड़की की ओर से उसके निदेशक प्रो कमल किशोर पंत ने हस्ताक्षर किया है. इस मौके पर आइआइटी आइएसएम के उपनिदेशक प्रो धीरज कुमार भी मौजूद थे.
तकनीकी सहयोग करेंगे दोनों संस्थान :
एमओयू के तहत दोनों संस्थान अपने-अपने कोर एरिया यानी प्रमुख शोध क्षेत्रों में एक-दूसरे को तकनीकी और शैक्षणिक सहयोग प्रदान करेंगे. इससे शोधार्थियों को अधिक संसाधन, विशेषज्ञ मार्गदर्शन और बहुआयामी शोध के अवसर मिलेंगे. इस कार्यक्रम के अंतर्गत विद्यार्थी दोनों संस्थानों में रिसर्च कर सकेंगे और उन्हें दोनों का अनुभव प्राप्त होगा. संयुक्त पीएचडी प्रोग्राम से न केवल शोध की गुणवत्ता में इजाफा होगा, बल्कि यह उच्च स्तरीय नवाचार और तकनीकी विकास को भी बढ़ावा देगा. यह सहयोग शिक्षा एवं शोध के क्षेत्र में एक आदर्श मिसाल बनेगा और भविष्य में अन्य तकनीकी संस्थानों के लिए भी प्रेरणा बनेगा.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है