मधुपुर. शहर के बावनबीघा स्थित एक निजी होटल सभागार में मंगलवार को संवाद के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर हम हैं महिला किसान, जमीन हमारी है पहचान विषय पर गोष्ठी का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन डॉ. सुमन लता, घनश्याम, ऐनी टुडू, शबाना परवीन, ललिता, सुशीला, नियोती, सुशील मरांडी, ममता आदि ने संयुक्त रूप से किया. मौके पर डॉ. सुमन लता ने कहा कि महिलाओं में अपार शक्ति है. महिलाओं को अपनी शक्ति को पहचानकर उसका सदुपयोग करना होगा. महिलाएं खेती किसानी का सारा काम करती है लेकिन महिला किसान के रूप में उसकी पहचान नहीं है. वहीं कहा कि जमीन का पट्टा महिला किसान के नाम हो. पंचायती राज के माध्यम से महिलाओं को जनप्रतिनिधि के रूप में अधिकार मिला महिलाएं अपना अधिकार समझे और पुरुषों के समान बराबरी का हक लेने के लिए आगे आये. समाजसेवी घनश्याम ने कहा वर्ष 1793 के पूर्व जमीन समाज और समुदाय की होती थी. जमीन गांव के नाम होती थी. 1793 से जमीन की स्थायी बंदोबस्ती और पट्टा व्यक्तिगत रूप से दिया जाने लगा. समाज पितृ प्रधान होने के कारण पुरुषों के नाम जमीन का पट्टा दिया गया. महिलाओं को समाज में बराबर का दर्जा मिलना चाहिए. महिला किसान संगठन, ग्राम सभा, ग्राम सभा फेडरेशन के माध्यम से संवाद 16 जिलो के 750 गांवों में महिला किसान की पहचान और जमीन के पट्टा पर उनका नाम का अभियान चला रही है. हजारों सालों की गुलामी से उबरने के लिए वंचित समाज की महिलाओं को संगठित होकर संघर्ष को आगे ले जाना होगा. मौके पर ग्राम सभा फेडरेशन की राज्य संयोजिका ऐनी टुडू, सुशीला हेंब्रम, नियोती हेंब्रम, ललिता, रबिका, दिलीप, उबीलाल मुर्मू, आनंद, श्रीमोती, नेहा, ममता, सुनीता, अताउल, पूजा, सीमा, सागोरी, शांति, कल्पना, बलराम, विदेशी कोल, कुसुम आदि ने सरकार से महिला किसानों को उसकी पहचान देने और जमीन का पट्टा महिला किसान के नाम करने की मांग की है. कार्यक्रम का संचालन अन्ना सोरेन ने की.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है