जांच रिपोर्ट में स्पष्ट कहा गया है कि कांउसेलिंग एवं अन्य नियुक्ति कार्य में सारे कागजात मसलन आवेदन, प्रपत्र, अंक पत्र, शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र प्रधान लिपिक सदानंद ठाकुर, जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर कार्यालय को समर्पित की जाती थी. इसलिए अनियमितता में जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर के साथ उनकी संलिप्तता से इनकार नहीं किया जा सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चार लिपिकों ने काउंसेलिंग के बाद उन्हें मूल प्रमाण पत्र की जो संचिका वापस की उन्होंने वैसे ही रखी एवं जांच पदाधिकारी को दिखायी. इसलिए प्रधान सहायक सदानंद ठाकुर एवं चार लिपिक उमाशंकर सिंह, मनीष कुमार, संतोष कुमार एवं संदीप कुमार संदेह के घेरे में आते हैं. इसलिए जाली शैक्षणिक एवं प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्र के आधार पर नियुक्त शिक्षकों के विरूद्ध नियमानुसार कार्रवाई किया जाना समुचित होगा. जिला शिक्षा अधीक्षक देवघर ने अपने सहकर्मियों नियुक्ति संचिका प्रभारी कार्यालय सहायक तथा डाटा इंट्री ऑपरेटर के सहयोग से नियुक्ति नियमावली के विपरीत कार्य कर सक्षम उम्मीदवारों को उनके उचित हक से वंचित कर गलत व अक्षम व्यक्तियों को नियुक्ति पत्र प्रदान करना गंभीर अपराध है. जिसके लिए सहकर्मी के विरुद्ध भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम के तहत प्राथमिकी दर्ज करने एवं विभागीय कार्रवाई प्रारंभ करने के लिए प्रथमद्रष्टया उपलब्ध साक्ष्य के आधार पर अनुशंसा की जाती है.