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आसमानी मजबूरी, जनप्रतिनिधि की अनसुनी को नहीं बनने दी बाधा, खोद रहे डेढ़ किमी नाला

सिस्टम ने नहीं दिया साथ तो फौलादी बाजुओं पर दिखाया भरोसा सुखाड़ से बचने के लिए श्रमदान कर नाला खोद रहे किसान 45 गांव की 800 एकड़ लहलहायेगी फसल सुमन सौरभ@देवघर किसी मशहूर शायर ने शायद किसानों की हालत को देखकर ही लिखा है कि ‘एक बार आकर देख कैसा, हृदय विदारक मंजर हैं, पसलियों […]

सिस्टम ने नहीं दिया साथ तो फौलादी बाजुओं पर दिखाया भरोसा

सुखाड़ से बचने के लिए श्रमदान कर नाला खोद रहे किसान

45 गांव की 800 एकड़ लहलहायेगी फसल

सुमन सौरभ@देवघर

किसी मशहूर शायर ने शायद किसानों की हालत को देखकर ही लिखा है कि ‘एक बार आकर देख कैसा, हृदय विदारक मंजर हैं, पसलियों से लग गयी हैं आंते, खेत अभी भी बंजर हैं.’ उनके शब्द आज के किसानों की मजबूरी व बेबसी के दर्द की सच्चाई बयां करती है. लेकिन, जब यही बेबसी व मजबूरी जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों को नजर नहीं आती तो वही किसान कभी-कभी अपनी तकदीर का रास्ता खुद बनाने के लिए एक हो जाता है.

जब मजबूत इच्छाशक्ति व खुद पर भरोसा हो तो भले ही सिस्टम साथ न दे, अगर लोग ठान लें तो अपनी जरूरतों के लिए किसी पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया देवघर जिला के देवघर प्रखंड के किसानों ने. अपनी दृढ़ता व जिद के दम पर सैकड़ों एकड़ सूख रहे फसलों को बचाने के लिए दर्जनों गांव के किसान मिलकर नदी से खेतों तक पानी पहुंचाने के लिए धरती का सीना चीर कर नाला बना रहे हैं.

किसानों के लिए सरकार के पास कई योजनाएं हैं, पर सिंचाई का लाभ लोगों को मिलता नहीं दिख रहा. सुखाड़ से परेशान देवघर जिला के सातर खरपोस के ग्रामीणों की जब जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों ने नहीं सुनी तो उन्होंने सबसे ज्यादा भरोसा अपनी फौलादी बाजुओं पर दिखाया. डढ़वा नदी से डेढ़ किमी तक खेतों में पटवन के लिए किसान खुद नाला खोद कर फसल बचाने के प्रयास में लगे हैं.

नाला खोदे जाने पर डढ़वा नदी के पानी से 800 एकड़ धान के खेत में सिंचाई हो सकेगी. इससे हरला टांड़, कुरूमटांड़, सतरिया समेत 45 गांव के किसानों को फायदा होगा. किसानों की मेहनत से जल्द ही उनके खेतों में हरियाली लौट आयेगी.

फसल बचाने को मवेशी तक बेची, पर किसी का नहीं पसीजा दिल

कुरूमटांड़, हेरलाटांड़, सतरिया, महतोडीह, सातर, कुशमील, संकरी गली, बैंगी बिशनपुर, पदमपुर गांव के किसान त्रिपुरारी, पंकज, नकुल, पिंटू, प्रभु मंडल, विजय रवानी, शिवशंकर, विष्णु रवानी, जानकी रवानी, अशोक रवानी, प्रदीप रवानी, भरत रवानी, मुन्ना रवानी, कार्तिक रवानी, गोपाल रवानी, खेमन महतो, डब्लू रवानी, प्रकाश रवानी, नरेश, शशिकांत, नेपाल रवानी, प्रकाश, जयदेव, मानकी रवानी बबलू आदि बताते हैं कि सुखाड़ को देखते हुए मुखिया से लेकर विधायक व अधिकारियों से भी गुहार लगायी.

विधायक को फोन किया तो जवाब आया कि अभी कोई फंड नहीं है. यहां के कई किसान मवेशी बेचकर फसल बचाने की जद्दोजहद कर रहे हैं. दुर्गापूजा भी नजदीक है. ऐसे में किसानों ने निर्णय लिया कि अब वे किसी के आगे हाथ फैलायेंगे. सभी ने मिलकर लगभग डेढ़ किमी की दूरी से गुजरी डढ़वा नदी से नाला खोद कर पानी लाने की ठान ली.

बस, फिर क्या था लोगों के हौसले बुलंद थे, कुदाल व फावड़ा लिया व निकल पड़े भागीरथ की भांति नदी को गांव की ओर लाने. अब जल्द ही किसानों की मेहनत रंग लाने वाली है. खेतों को पानी पहुंचेगा व किसान किसी पर निर्भर भी नहीं रहेंगे.

जनप्रतिनिधियों के खिलाफ गुस्सा : वोट मांगने आये तो मारेंगे जूता

नाला खुदाई के काम में जुटे यहां के किसान जनप्रतिनिधि के प्रति काफी गुस्‍से में हैं. इनका कहना है कि सुखाड़ को देखते हुए जनप्रतिनिधि को अपने फंड से तत्काल नाला बनाना चाहिए था. पर ऐसा नहीं किया. अब दोबारा वोट मांगने आयेंगे, तो उन्हें जूता से मारेंगे.

जेसीबी चलाने को पैसे नहीं, बेच रहे मवेशी

नाला खुदाई के लिए जेसीबी की जरूरत पड़ रही है. इसके लिए इन किसानों के पास पैसे नहीं है. अब ये सभी किसान अपने-अपने मवेशी बेच रहे हैं. ताकि पैसा इकट्ठा कर जेसीबी के माध्यम से जल्द से जल्द नाला की खुदाई का कार्य पूरा हो सके.

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