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लिपिकों व आदेशपाल को नहीं मिला एसीपी व एमएसीपी का लाभ

देवघर: देवघर के सभी कोटि के उच्च विद्यालयों के 20 लिपिक व 40 आदेशपाल को वर्षों से एसीपी (सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना) एवं एमएसीपी (संशोधित सुनिश्चित वृत्ति योजना) का लाभ नहीं मिला है. योजना का लाभ लेने के इंतजार में कई कर्मचारियों की मौत हो गयी, जबकि कई सेवानिवृत्त हो गये हैं. विभागीय नियम के […]

देवघर: देवघर के सभी कोटि के उच्च विद्यालयों के 20 लिपिक व 40 आदेशपाल को वर्षों से एसीपी (सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना) एवं एमएसीपी (संशोधित सुनिश्चित वृत्ति योजना) का लाभ नहीं मिला है. योजना का लाभ लेने के इंतजार में कई कर्मचारियों की मौत हो गयी, जबकि कई सेवानिवृत्त हो गये हैं.

विभागीय नियम के तहत नियमित एसीपी व एमएसीपी का लाभ कर्मियों को कार्यकाल के दौरान ही दिये जाने का प्रावधान है. वर्ष 2013 में तत्कालीन जिला शिक्षा पदाधिकारी की अगुवाई में जांच के लिए कमेटी बनायी गयी थी. कमेटी द्वारा जांच प्रतिवेदन भी सौंपा गया था, लेकिन नतीजा कुछ भी नहीं निकला. नियमानुसार कर्मचारियों को नियुक्ति की तिथि से 10 वर्ष के सेवाकाल में पहला, 20 वर्ष के सेवाकाल में दूसरा एवं 30 वर्ष के सेवाकाल में तीसरा सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना का लाभ दिये जाने का प्रावधान है.

क्या होता है एसीपी व एमएसीपी : एसीपीपी, एस्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम (सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना) है. योजना के तहत 01.09.2008 के पहले योगदान करने वाले कर्मचारियों को 12 वर्ष एवं 24 वर्ष में एक-एक बार लाभ देने का प्रावधान है. 01.09.2008 के बाद योगदान करने वालों को 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष में एक-एक बार योजना का लाभ दिये जाने का प्रावधान है. निश्चित वर्ष की गिनती कर्मचारी के नियुक्ति की तिथि से किया जाना है. एमएसीपी का मतलब मोडिफाइड एस्योर्ड कैरियर प्रोग्रेशन स्कीम (संशोधित सुनिश्चित वृत्ति योजना) है. यह 01.09.2008 से प्रभावी है. इस योजना का लाभ कर्मचारी को 10 वर्ष, 20 वर्ष एवं 30 वर्ष में एक-एक बार दिया जाना है.

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