चक्रधरपुर. पश्चिम सिंहभूम के दुर्गम कामरोड़ा गांव में ग्रामीण समस्याओं को लेकर झारखंड आंदोलन से जुड़े नेता, सामाजिक संगठन तथा ग्रामीणों की भागीदारी में बैठक हुई. इसमें पूर्व विधायक बहादुर उरांव ने कहा कि चंद शहरों में केंद्रित विकास के कारण असली झारखंड अब भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित है. उदाहरण स्वरूप कामरोड़ा में ट्रांसफाॅर्मर, आंगनबाड़ी भवन और पेयजल आपूर्ति जैसी समस्याएं गंभीर हैं. उन्होंने कहा कि स्थापना दिवस का उत्सव ऐसे हालात में विडंबना है. दो वर्ष पूर्व गांव के शिक्षक रतन कंडुलना की सड़क हादसे में मौत का जिक्र करते हुए बहादुर उरांव ने कहा कि सड़क से वंचित ग्रामीणों को आज भी बुनियादी आवागमन में बड़ी बाधा है.
मरांग गोमके को छात्रवृत्ति योजना तक सीमित किया :
झारखंड पुनरुत्थान अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सन्नी सिंकु ने कहा कि झारखंड अलग राज्य की परिकल्पना करने वाले मरांग गोमके जयपाल सिंह मुंडा की आत्मा आज की स्थिति देखकर व्यथित होगी. उन्होंने कहा कि जिन मूल्यों सह अस्तित्व, सांस्कृतिक सम्मान और समान विकास का सपना मरांग गोमके ने देखा था, हम उनसे दूर हो रहे हैं. कहा कि मरांग गोमके को झारखंड का केंद्र बिंदु बनाया जाना चाहिए था, पर हमने उन्हें सिर्फ छात्रवृत्ति योजना तक सीमित कर दिया है. बैठक को झारखंड पुनरुत्थान अभियान के जिला अध्यक्ष नारायण सिंह पुरती, जिला उपाध्यक्ष बिरसा गोप तथा अभियान स्टूडेंट्स विंग के केंद्रीय अध्यक्ष अरिल सिंकु ने भी संबोधित किया. सभी वक्ताओं ने कहा कि कामरोड़ा जैसे उपेक्षित गांवों की समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए. बैठक की अध्यक्षता कमरोड़ा मौजा के मुंडा दयाल सिंह कुंडलना ने की.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

