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Jharkhand Village: झारखंड का एक ऐसा गांव, जिसका नाम सुनते ही त्रेतायुग की यादों में खो जाएंगे, जीवंत हो उठेंगी रामायण काल की यादें

Jharkhand Village Story: झारखंड में एक गांव ऐसा है, जिसका नाम सुनते ही रामायण काल की यादें जीवंत हो उठती हैं. आप त्रेतायुग की यादों में खो जाएंगे. हालांकि त्रेतायुग और रामायण काल से इस गांव का कोई खास संबंध नहीं है. आपको गांव का नाम सुनकर यकीन नहीं होगा. बोकारो जिले का वह गांव है लंका. नाम सुनते ही 'रावण की नगरी' की याद ताजा हो जाती है.

Jharkhand Village Story: कसमार (बोकारो), दीपक सवाल-झारखंड में एक ऐसा गांव है, जिसका नाम सुनते ही आप त्रेतायुग की यादों में खो जाएंगे. रामायण काल की यादें ताजा हो जाएंगी. हालांकि इस गांव का त्रेतायुग और रामायण काल से कोई खास संबंध नहीं है, लेकिन गांव का नाम सुनकर त्रेतायुग की यादें जीवंत हो उठती हैं. नाम सुनकर आपको सहसा यकीन नहीं होगा. वह गांव बोकारो जिले में है, जिसका नाम है लंका. नाम सुनते ही ‘रावण की नगरी’ की याद ताजा हो जाती है.

बोकारो में कहां है ये गांव?


लंका गांव बोकारो जिले के चंदनकियारी प्रखंड में है. यह पश्चिम बंगाल की सीमा पर अवस्थित है. इसकी तीन दिशाएं दक्षिण, पश्चिम और पूरब में पश्चिम बंगाल की सीमा है. एक वक्त था, जब यह गांव काफी पिछड़ा था. सिंचाई के साधन नहीं थे. खेती-किसानी से किसी तरह गांववाले जीविकोपार्जन करते थे. कड़ी मेहनत से ग्रामीणों ने परिवार का भरण-पोषण किया और बच्चों को अच्छी शिक्षा दी.

झारखंड बनने के बाद चमकी इस गांव की किस्मत


वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड बना. इसके बाद इस गांव की किस्मत बदलने लगी. यहां के लड़के-लकड़ियां सरकारी नौकरियों में बहाल होने लगे. वर्ष 2002 में हुई पुलिस की बहाली में एक ही परिवार के तीन भाई-बहन सफल हुए. इसके बाद यह गांव चर्चा में आ गया. स्वर्गीय मनभूल महतो के पुत्र शिवप्रसाद महतो, सुमित्रा महतो एवं सीमा महतो की पुलिस में बहाली हुई थी. इसके बाद काफी संख्या में लोग सरकारी नौकरी में बहाल होने लगे.

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अपने इलाके में काफी प्रसिद्ध है ये गांव


बोकारो जिले का लंका गांव अपने इलाके में काफी प्रसिद्ध है. न सिर्फ ये पुलिसवालों के गांव के रूप में जाना जाता है, बल्कि ये कलाकारों के गांव के रूप में भी प्रसिद्ध है. यहां काफी संख्या में लोग सरकारी नौकरी में भी हैं. यहां के लोग काफी जागरूक हैं. इस छोटे से गांव में 40 से अधिक लोग पुलिस की नौकरी में हैं.

कुड़मी बहुल गांव है लंका


लंका कुड़मी (महतो) बहुल गांव है. कुल आबादी में करीब 75 फीसदी आबादी कुड़मियों की है. पुलिस समेत अन्य विभागों में सरकारी नौकरियां पाने वालों में 95 फीसदी से अधिक लोग इसी जाति के हैं. गांव में अन्य जातियों में तेली, डोम, कर्मकार, गोराई, मुस्लिम शामिल हैं.

लंका राजस्व गांव की आबादी (2011 की जनगणना)

एससी 0163
एसटी 0009
अन्य 2256
कुल 2478

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Guru Swarup Mishra
Guru Swarup Mishrahttps://www.prabhatkhabar.com/
मैं गुरुस्वरूप मिश्रा. फिलवक्त डिजिटल मीडिया में कार्यरत. वर्ष 2008 से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से पत्रकारिता की शुरुआत. आकाशवाणी रांची में आकस्मिक समाचार वाचक रहा. प्रिंट मीडिया (हिन्दुस्तान और पंचायतनामा) में फील्ड रिपोर्टिंग की. दैनिक भास्कर के लिए फ्रीलांसिंग. पत्रकारिता में डेढ़ दशक से अधिक का अनुभव. रांची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता में एमए. 2020 और 2022 में लाडली मीडिया अवार्ड.

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