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Bokaro News : राम राज्याभिषेक में उमड़े श्रद्धालु

Bokaro News : करगली गेट दुर्गा मंदिर स्थित मानस सत्संग समिति बेरमो की ओर से आयोजित 67वें नवाह्न श्री श्री रामचरित्र मानस पाठ एवं महायज्ञ की पूर्णाहुति शुक्रवार को प्रभु श्री रामचंद्र के राज्याभिषेक के साथ हुई.

फुसरो. करगली गेट दुर्गा मंदिर स्थित मानस सत्संग समिति बेरमो की ओर से आयोजित 67वें नवाह्न श्री श्री रामचरित्र मानस पाठ एवं महायज्ञ की पूर्णाहुति शुक्रवार को प्रभु श्री रामचंद्र के राज्याभिषेक के साथ हुई. काफी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे और जयकारों से क्षेत्र गूंज उठा. राज्याभिषेक के बाद आरती और प्रसाद वितरण कार्यक्रम हुआ. हजारों श्रद्धालुओं ने यज्ञ परिसर का परिक्रमा व पूजा की. शनिवार को हवन होगा और शाम चार बजे शोभा यात्रा निकाल कर मूर्ति विसर्जन किया जायेगा. यज्ञ के दौरान अनुष्ठान मिथिलाकुंज अयोध्या से आये मानस मर्मज्ञ वैष्णव संतस्वामी पूज्य यज्ञाचार्य श्री श्री 1008 राम बिहारी शरण जी महाराज की अगुआई में हुआ. जमुई मुंगेर बिहार से आये सदानंद मिश्रा तथा उनकी टीम द्वारा रामचरित मानस का पाठ किया गया. देवघर से आये पंडित मिथिलेश मोदगल्य ने नौ दिनों रामचरित मानस का पाठ करवाया. दर्जनों श्रद्धालुओं ने यज्ञमंडप परिसर में बैठकर श्री रामचरित मानस का पाठ किया. यज्ञ के आयोजन में मनोज सिंह, सुशील सिंह, नितेश सिंह, अर्चना सिंह, निरंजन सिंह, गजेंद्र प्रसाद सिंह, वशिष्ठ नारायण सिंह, जयप्रकाश सिंह, अनिल गुप्ता, प्रशांत सिंह, वीरेंद्र सिंह, शशिकांत सिंह, जितेंद्र सिंह, महावीर महतो, उत्तम साव, बिरेंद्र महतो, उमाशंकर महतो आदि का योगदान रहा.

चिंतन कीजिए, चिंता नहीं : लोकेशानंद

गुरुवार की रात को यज्ञ के आठवें दिन उज्जैन से आये श्री श्री लोकेशानंद शास्त्री द्वारा संगीतमय मानस प्रवचन किया गया. उन्होंने कहा कि कोई भी काम निडर होकर करना चाहिए, डरना नहीं चाहिए. हमेशा अपनी मंजिल की ओर बढ़ते रहें, कुछ नहीं भी मिला तो तजुर्बा और अनुभव तो जरूर मिलेगा. डर से हमेशा काम बिगड़ता है. चिंतन कीजिए, चिंता नहीं. कहा कि भगवान श्रीराम अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ गंगा नदी पार करने के लिए गये तो वहां केवट ने चतुरता परिचय दिया. भगवान खुद केवट के पास गये और नदी पार कराने को कहा तो केवट ने मना कर दिया. कहा कि मैंने आपके बारे में सुन रखा है, आपकी चरण की धूल मात्र से ही एक पत्थर कन्या बन जाती है, तो मेरा तो नाव लकड़ी का है इसका क्या हाल होगा. इस कारण पहले मैं आपकी चरण धोऊंगा, उसके बाद नाव से नदी पार करवाऊंगा. केवट ने अपनी पत्नी के साथ श्रीराम के चरण एक चरण धोये. दूसरा चरण धोते वक्त भगवान को पहला चरण फिर जमीन पर रखना पड़ा. इस पर केवट ने चतुरता का परिचय देते हुए कहा कि जब एक चरण धोऊंगा तो पहला चरण ऊपर उठा कर रखना होगा. भगवान उसकी सारी चतुराता समझ गये और कहा कि इससे तो मैं गिर जाऊंगा. इस पर केवट ने कहा कि आप दोनों हाथ मेरे सिर पर रख लें, इससे आप नहीं गिरेंगे. भगवान ने अपने दोनों हाथ केवट के सिर पर रख दिया. इस तरह केवट ने भगवान का आशीर्वाद भी प्राप्त कर लिया.

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