बोकारो, साहित्यिक संस्था साहित्यलोक की मासिक रचनागोष्ठी रविवार की शाम सेक्टर चार एफ में पटना से आये कवि सुशील ठाकुर ‘साहिल’ की अध्यक्षता में हुई. साहित्यलोक के संयोजक अमन कुमार झा के आवास पर आयोजित इस रचनागोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार बुद्धिनाथ झा, विजय शंकर मल्लिक ‘सुधापति’, शैलजा झा, मनाली मिश्रा, अमन कुमार झा, अरुण पाठक, डॉ रणजीत कुमार झा, विश्वनाथ झा, धर्मवीर सिंह, शम्भु झा आदि शामिल हुए. कवयित्री मनाली मिश्रा ने ‘मोह’ व ‘अनचाही बेटी’, अमन कुमार झा ने ‘आशीर्वाद’, धर्मवीर सिंह ने ‘देश का मौसम बदला-बदला नजर आ रहा है’, विजय शंकर मल्लिक ने मैथिली कविता ‘संसारिक बात’ व ‘जयंती’, शैलजा झा ने हिंदी कविता ‘पिता’ व मैथिली कविता ‘स्त्रीक आत्मा’, डॉ रणजीत कुमार झा ने मैथिली गीत ‘कोन करम हम कएल विधाता’ सुनाया. बुद्धिनाथ झा ने मैथिली में ‘नंगटा पाकिस्तान’ व ‘अहां भारत के बेटी छी’, सुशील साहिल ने हिंदी में कविता व गज़ल ‘मेरे सोने के भारत को मेरे बच्चे संभालेंगे’, ‘पनिहारिन के गीत मैं गाऊं तो कैसे’ व ‘जिस नजर से शराब होता रहा’ सुनाकर प्रशंसा पायी. अध्यक्षीय वक्तव्य में श्री साहिल ने कहा कि गोष्ठी में आकर व इतने गुणी जनों से मिलकर काफी अच्छा लगा. साहित्य के सवंर्द्धन में साहित्यलोक की भूमिका प्रशंसनीय है. मौके पर मैथिली महाकाव्य ‘ऊं महाभारत’ के रचयिता साहित्यकार बुद्धिनाथ झा को अभिनंदन पत्र देकर सम्मानित किया गया. चेतना समिति पटना द्वारा बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान द्वारा बुद्धिनाथ झा को यात्री चेतना पुरस्कार से सम्मानित होने पर सभी ने हर्ष व्यक्त करते हुए श्री झा को बधाई दी.
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