सीपी सिंह, बोकारो, बोकारो के राजनीतिक दादा दिवंगत समरेश सिंह की दूसरी पुण्यतिथि एक दिसंबर यानी आज मनायी जायेगी. चास पुराना बाजार स्थित रवींद्र भवन में कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा. दादा के व्यक्तित्व, अनुकरणीय जीवन मूल्य व योगदान को याद किया जायेगा. श्रद्धांजलि दी जायेगी. संयुक्त बिहार में जनसंघ के बाद भाजपा को स्थापित करने वाले चुनिंदा नेताओं में दादा का नाम आता है. उनकी पहचान थी, संघर्ष. झारखंड में भाजपा सत्ता के शीर्ष पर आयी, तो इसके लिए जमीन तैयार करने वालों में दादा जैसे कुछेक नेताओं का नाम शुमार है.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नजदीकी नेताओं में इनका नाम रहा. 1988 में भाजपा बिहार प्रदेश का अधिवेशन गया के गांधी मैदान में हुई थी. यहीं स्व समरेश सिंह, इंदर सिंह नामधारी, ललित उरांव, निर्मल बेसरा ने अलग राज्य की मांग की थी. मांग पर भाजपा के राष्ट्रीय नेता कैलाशपति मिश्र ने अलग राज्य का तार्किक कारण पूछा. जवाब के बाद भाजपा ने वनांचल कमेटी गठित करने की घोषण की. कड़िया मुंडा को अध्यक्ष बनाया गया था.दक्षिण बिहार यानी आज के झारखंड में बीजेपी को बनायी ताकत
1989 में बिहार भाजपा की कमान इंदर सिंह नामधारी व स्व समरेश सिंह की हाथ में थी. जोड़ी ने झामुमो के झारखंड अलग राज्य के समानांतर वनांचल आंदोलन खड़ा किया. उत्तर बिहार में जहां पार्टी एक-एक सीट को तरस रही थी, स्व समरेश व इंदर की जोड़ी ने दक्षिण बिहार में उसे प्रमुख राजनीतिक शक्ति बना दिया. इसी बीच लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा ने उम्मीदों को परवान चढ़ाया तो 1989 में पार्टी ने स्व सिंह का धनबाद से प्रत्याशी बनाया. हालांकि, समरेश सिंह को हार मिली. स्व सिंह 05 बार बोकारो विधानसभा के विधायक रहे, जो अबतक रिकॉर्ड ही है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है