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आउटसोर्सिंग के पदों पर कर दी परमानेंट बहाली

वर्ष 2016 में हुई थी बहाली नौ कर्मी 26 माह से बिना वेतन कर रहे काम बोकारो : बोकारो समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2016 में थर्ड व फोर्थ ग्रेड पर नौ लोगों की बहाली हुई थी. विभाग की तरफ से जिला प्रशासन को इन पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरने के लिए कहा […]

वर्ष 2016 में हुई थी बहाली

नौ कर्मी 26 माह से बिना वेतन कर रहे काम
बोकारो : बोकारो समाज कल्याण विभाग में वर्ष 2016 में थर्ड व फोर्थ ग्रेड पर नौ लोगों की बहाली हुई थी. विभाग की तरफ से जिला प्रशासन को इन पदों को आउटसोर्सिंग के माध्यम से भरने के लिए कहा गया. जिला प्रशासन ने बहाली तो की, लेकिन आउटसोर्सिंग के बजाय परमानेंट तौर पर. अब इस गलती का खामियाजा बहाल हुए नौ कर्मी भुगत रहे है.
उनका पिछले 26 माह से वेतन लटका हुआ है. वह अपनी नियुक्ति के संबंध में हाइकोर्ट के शरण में हैं. इस बहाली प्रक्रिया में नियुक्त सभी नौ अभ्यर्थी जिला प्रशासन में काम तो कर रहे हैं, लेकिन न ही वह सरकारी मुलाजिम है और ना ही आउटसोर्सिंग के कर्मी. कोर्ट ने वेतन भुगतान का निर्देश दिया है, लेकिन अब तक कर्मियों को वेतन नहीं मिल सका है.
क्या है मामला : समाज कल्याण विभाग का निर्देश मिलने के बाद 2016 में जिला प्रशासन की तरफ से एक विज्ञापन निकाला गया. विज्ञापन में साफ तौर बहाली आउटसोर्ट के जरिये किया जाना लिखा था. साथ ही विज्ञापन में वेतनमान का भी उल्लेख था. बहाली के लिए काफी संख्या में आवेदन आये. आवदेनों को शॉर्ट लिस्ट किया गया. चुने गये अभ्यर्थियों का स्किल टेस्ट के साथ लिखित में परीक्षा ली गयी.
साक्षात्कार के बाद लोगों को योगदान देने को कहा गया. लेकिन योगदान आउटसोर्सिंग के बजाय सरकारी तरीके से परमानेंट कर्मी के तौर पर बहाली कर ली गयी. उसके बाद उनका सर्विस बुक खुला प्रान नंबर भी जेनेरेट हो गया. सरकारी स्थायी कर्मी की तरह 12 नवंबर 2016 से 31 दिसंबर 2017 तक वेतन प्राप्त हुआ.
अब न ही सरकारी और न ही दैनिक भत्ता वाले कर्मी रहे : कर्मियों ने मामले में कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. लेकिन कोर्ट की तरफ से सरकार के फैसला पर स्टे नहीं लगा. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान तीन अप्रैल 2018 को सभी कर्मी को फैसला आने तक सैलेरी देने को कहा. लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भुगतान नहीं किया गया है. जिला प्रशासन ने आवंटन अप्राप्त होने का हवाला देकर अपना पक्ष रख दिया है.

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