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सिंडिकेट की आपात बैठक आज, तीन शिक्षकों की सेवा पर होगा फैसला

रांची : रांची विश्वविद्यालय सिंडिकेट की आपात बैठक शनिवार को 12 बजे से होगी. इसमें मांडर कॉलेज मांडर के तीन शिक्षकों की सेवा पर निर्णय लिया जायेगा. बैठक कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में होगी. दूरभाष पर सिंडिकेट के सदस्यों को बैठक की सूचना दे दी गयी है. कॉलेज के मानव शास्त्र विभाग […]

रांची : रांची विश्वविद्यालय सिंडिकेट की आपात बैठक शनिवार को 12 बजे से होगी. इसमें मांडर कॉलेज मांडर के तीन शिक्षकों की सेवा पर निर्णय लिया जायेगा. बैठक कुलपति डॉ रमेश कुमार पांडेय की अध्यक्षता में होगी. दूरभाष पर सिंडिकेट के सदस्यों को बैठक की सूचना दे दी गयी है. कॉलेज के मानव शास्त्र विभाग के शिक्षक मधु किशोर, अर्थशास्त्र विषय के शिक्षक हरिशंकर प्रसाद व सच्चिदानंद प्रसाद पर नियुक्ति के समय तथ्य छिपाने का आरोप है.

शिक्षकों की नियुक्ति में गड़बड़ी की शिकायत की जांच के लिए रांची विश्वविद्यालय द्वारा कमेटी का गठन किया गया था. कमेटी ने जांच के बाद अपनी रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी है. जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर शिक्षकों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. इसके बाद मामले में महाधिवक्ता से कानूनी सलाह ली गयी थी.

महाधिवक्ता ने मामले में फिर से जांच कमेटी बनाने की बात कही थी. दूसरी जांच कमेटी की रिपोर्ट को पिछले दिनों परीक्षा बोर्ड की बैठक में भी रखा गया था. बाेर्ड ने यह कहते हुए किसी प्रकार का निर्णय लेने से इनकार कर दिया था कि यह मामला उसके कार्यक्षेत्र में नहीं है. इसके बाद यह मामला फिर से सिंडिकेट की बैठक में रखा जायेगा.

मानव शास्त्र विभाग के शिक्षक मधु किशोर पर आरोप है कि नियुक्ति के समय इन्हें 52.5 फीसदी अंक नहीं था, पर अंक बढ़ा कर ये व्याख्याता के पद पर नियुक्त हो गये. सच्चिदानंद सिंह को नियुक्ति के समय 49 फीसदी अंक था. वहीं, एक शिक्षक के बारे में कहा गया है कि वे नियुक्ति के समय जेल में थे.

तीन प्रोफेसर की बर्खास्तगी पर लिया जायेगा निर्णय, फर्जी प्रमाण पत्र व तथ्यों की गलत जानकारी देकर नियुक्त हुए थे शिक्षक
केसीबी कॉलेज बेड़ाे के भी तीन शिक्षकों की डिग्री फर्जी होने की शिकायत वर्ष 2008-09 में विश्वविद्यालय को मिली थी. विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामले की जांच के लिए दो सदस्यीय कमेटी भी गठित की थी.
कमेटी विवि के पूर्व डीएसडब्ल्यू डॉ सीएसपी लुगून की अध्यक्षता में गठित की गयी थी. कमेटी में विवि के पूर्व प्रॉक्टर एक्यू जिलानी भी शामिल थे. कमेटी ने मामले की जांच कर रिपोर्ट विश्वविद्यालय प्रशासन को सौंप दी थी. विश्वविद्यालय द्वारा आज तक उस रिपोर्ट पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.
कमेटी ने तीन में से एक शिक्षक के स्नातकोत्तर की डिग्री को जांच में गलत बताया था, जबकि एक शिक्षक की डिग्री को भी संदेहास्पद बताया गया था. कमेटी द्वारा रिपोर्ट जमा करने के वर्षों बाद भी विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी.

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