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गोपालगंज के खेतों में बिछी बर्फ की चादर, 127 साल बाद पड़े इतने ओले, दलहन फसलों को भारी नुकसान

किसानों का कहना है कि ऐसी ओलावृष्टि उन्होंने कभी नहीं देखी. भोरे के कल्याणपुर, बनकटा जागीदारी और कटेया के रामदास बगहीं में 30 से 40 मिनट तक हुई भारी ओलावृष्टि से पूरी जमीन बर्फ की चादरों से ढक गयी.

गोपालगंज के भोरे प्रखंड की कल्याणपुर पंचायत में शुक्रवार की रात खेतों में सफेद चादर बिछ गयी. भारी ओलावृष्टि से खेत में खड़ी फसलें तहस-नहस हो गयीं. सबसे ज्यादा नुकसान तेलहन और आलू की फसलों को हुआ है. लगभग 36 सौ एकड़ में फसल बर्बाद होने की बात बतायी जा रही है. किसानों का कहना है कि ऐसी ओलावृष्टि उन्होंने कभी नहीं देखी. भोरे के कल्याणपुर, बनकटा जागीदारी और कटेया के रामदास बगहीं में 30 से 40 मिनट तक हुई भारी ओलावृष्टि से पूरी जमीन बर्फ की चादरों से ढक गयी.

127 साल बाद पड़े इतने ओले

मौसम विज्ञानी डॉ एसएन पांडेय ने बताया कि 127 वर्षों का रिकॉर्ड मौसम ने बनाया है. 1898 में पांच फरवरी को इसी प्रकार ओलावृष्टि हुई थी, जिससे कई घंटों तक बर्फ जमा था. ओलावृष्टि का असर कल्याणपुर में ज्यादा देखने को मिला, जहां जमीन पर ओले की परत देख लोग अचंभित थे. मूसलधार बारिश से जलजमाव हो गया.

तिलहन, दलहन की फसलों को भारी नुकसान

फरवरी की बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. दो दिनों में झमाझम बारिश, ओले और तेज हवा से फसल को भारी नुकसान पहुंचा है. ऐसे में जिले के किसान एक बार फिर से मौसम की मार सहने को विवश हैं. बारिश, ओला और तेज हवा ने रबी फसल को नुकसान पहुंचा कर किसानों की कमर तोड़ दी है. बारिश के कारण सरसों, दलहन, आलू और खैनी को जहां क्षति पहुंची है, वहीं गेहूं की फसल को फायदा और नुकसान दोनों हुआ है. बता दें कि गुरुवार की रात ठंड के बीच मौसम पूरी तरह से बरसाती रंग में रंग गया. गुरुवार की रात ओर शुक्रवार को पूरे दिन जहां रुक-रुकर बारिश होती रही, वहीं इस दौरान जमकर ओले पड़े और 14 से 27 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चली.

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तेज हवा के साथ जमकर बौछारें पड़ीं

शुक्रवार की रात में भी तेज हवा के साथ जमकर बौछारें पड़ीं. जिले के कई क्षेत्रों में ओले भी पड़े. शनिवार को सुबह 11 बजे तक आसमान बादलों से ढका रहा तथा बूंदाबांदी होती रही. बीते 36 घंटे में जिले 35.2 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गयी. आंधी-पानी के कारण सरसों की फसल गिर गयी है, वहीं ओला पड़ने से खैनी की पत्ती को भारी नुकसान पहुंचा है. खेत में पानी जमा होने से आलू भी बर्बादी के कगार पर पहुंच गया है. इधर शनिवार को दोपहर के बाद जब धूप दिखाई दी तो किसानों में उम्मीद की किरण फिर से जगी है.

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