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शराबबंदी के बाद भी महिला अत्याचार में नहीं आयी कमी

सुपौल : जिले में शराबबंदी के बाद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा मामले में कोई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है. यही कारण है कि दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, महिला अत्याचार सहित घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में कमी होने की बजाय इजाफा हुआ है. अमूमन देखा गया है […]

सुपौल : जिले में शराबबंदी के बाद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा मामले में कोई खास कमी देखने को नहीं मिल रही है. यही कारण है कि दुष्कर्म, दहेज प्रताड़ना, महिला अत्याचार सहित घरेलू हिंसा से संबंधित मामलों में पिछले वर्ष की तुलना में कमी होने की बजाय इजाफा हुआ है. अमूमन देखा गया है कि महिला उत्पीड़न से जुड़े अधिकतर मामले सामाजिक स्तर पर ही सुलझा लिये जाते हैं. यही कारण है कि ज्यादातर मामले सामने नहीं आते. लिहाजा कई मामले थाने तक नहीं पहुंचते.

इसके बावजूद महिला थाने में दर्ज अपराध की संख्या पर गौर करें, तो विगत वर्षों की तुलना में इसमें वृद्धि नजर आ रही है. वैसे बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बाद घरेलू हिंसा के मामले में कमी आने के कयास लगाये जा रहे थे, लेकिन जानकार बताते हैं कि महिला उत्पीड़न से जुड़े मामले शराबबंदी में भी परोक्ष रूप से ही सही शराब के कारण ही बढ़े हैं.

शराबबंदी की घोषणा को भी लगभग एक वर्ष बीत गये हैं. इसके बावजूद महिला उत्पीड़न व घरेलू हिंसा के मामले में कमी नहीं होना कहीं न कहीं सोचने पर मजबूर कर रहा है. ऐसा नहीं है कि इन मामलों में आरोपियों पर पुलिस प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जाती है. बावजूद आंकड़ों में बढ़ोतरी चिंताजनक है.

आंकड़े बयां करते हैं हकीकत
2016 के आंकड़ों के अनुसार महिला उत्पीड़न से संबंधित कुल 126 मामले दर्ज किये गये थे. इसमें दुष्कर्म के 28, दहेज प्रताड़ना के 42, महिला अत्याचार के 12 और विविध 44 मामले शामिल हैं. उक्त मामलों में 119 की गिरफ्तारी और 03 के विरुद्ध सजा भी मुकर्रर हुई. जबकि 2015 के आंकड़ों को गौर करें तो इस वर्ष कुल 97 मामले महिला थाने में दर्ज हुए. इसमें दुष्कर्म के 14, दहेज प्रताड़ना के 26, महिला अत्याचार के 17 और विविध 40 मामले हैं. वहीं 2017 के चार महीनों में कुल 38 मामले संज्ञान में आये. अप्रैल तक के आंकड़ों के अनुसार दुष्कर्म के 04, दहेज के 28, महिला अत्याचार के 05 और विविध 05 मामले दर्ज हुए हैं. आंकड़े इस बात को बताने के लिए पर्याप्त है कि शराबबंदी के बावजूद महिला उत्पीड़न के मामलों में कमी नहीं आयी है. शराबबंदी के पीछे सरकार की मंशा महिला उत्पीड़न को रोकना था. बावजूद इसमें कमी नहीं आना कहीं ना कहीं सवाल जरूर खड़ा करता है. ऐसे में सरकार द्वारा ठोस पहल की जरूरत है. तभी महिला उत्पीड़न के मामले में कमी लायी जा सकती है.
बोलीं महिला थानाध्यक्ष
शराब पीकर पति द्वारा पत्नी को प्रताड़ित करने के मामले में कमी आयी है. महिला से छेड़खानी से जुड़े मामले को रोकने के लिए सुबह के समय विभिन्न कोचिंग संस्थानों पर महिला पुलिस द्वारा गश्ती की जाती है. पति व पत्नी से जुड़े मामले में महिला हेल्पलाइन के सहयोग से सुलझाने का प्रयास किया जाता है.
प्रेमलता भूपाश्री, महिला थानाध्यक्ष, सुपौल

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