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महज सात घंटे में हुई गिरफ्तारी

व्यवसायी हत्याकांड. पुलिस को मिली बड़ी सफलता, लोगों में बढ़ा विश्वास व्यवसायी सुभाष की हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने हत्या के महज सात घंटे में ही हत्या के आरोपित को सहरसा जिला अंतर्गत बिहरा थाना क्षेत्र में कोसी के दियारा इलाके से गिरफ्तार किया. सुपौल : शहर के […]

व्यवसायी हत्याकांड. पुलिस को मिली बड़ी सफलता, लोगों में बढ़ा विश्वास

व्यवसायी सुभाष की हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने हत्या के महज सात घंटे में ही हत्या के आरोपित को सहरसा जिला अंतर्गत बिहरा थाना क्षेत्र में कोसी के दियारा इलाके से गिरफ्तार किया.
सुपौल : शहर के हटिया परिसर में सोमवार की सुबह व्यवसायी सुभाष सिंह की हत्या मामले में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. पुलिस ने हत्या के महज सात घंटे में ही हत्या आरोपित को सहरसा जिला अंतर्गत बिहरा थाना क्षेत्र में कोसी के दियारा इलाके से बरामद किया. जिसके बाद उसे सुपौल लाया गया. वही पुलिसिया दवाब के बाद आरोपित मो आफताब ने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया. साथ ही हत्या के लिए प्रयोग में लाये गये पिस्टल के बाबत भी जानकारी दी.
जिसके बाद शहर के गांधी मैदान स्थित तालाब से पुलिस ने पिस्टल बरामद की. इससे पूर्व हत्या और उसके बाद भाजपा कार्यकर्ता सहित व्यवसायियों के विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस द्वारा आरोपी की गिरफ्तारी के लिए एसआइटी का गठन कर दिया गया. जिसमें सदर एसडीपीओ विद्या सागर, सदर अंचल के पुलिस निरीक्षक राजेश कुमार व सदर थानाध्यक्ष राजेश्वर सिंह के नेतृत्व में तीन अलग-अलग टीम का गठन किया गया व छापेमारी आरंभ कर दी गयी. टीम में अनि सुभाष सिंह, दफादार विनोद कुमार, सिपाही विनय कुमार, राजेश कुमार आदि भी शामिल थे. पुलिस एसडीपीओ और पुलिस निरीक्षक के नेतृत्व वाली टीम ने बिहरा थाना क्षेत्र का रुख किया और कोसी दियारा इलाके से आरोपी आफताब को गिरफ्तार कर लिया.
भतीजा के बयान पर दर्ज हुई हत्या की प्राथमिकी: व्यवसायी सुभाष हत्या मामले में भतीजा पंकज कुमार सिंह के फर्द बयान पर सदर थाना में सोमवार की शाम ही प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. दर्ज थाना कांड संख्या 211/17 में कहा गया है कि घटना के वक्त कर्मी रामविलास शर्मा दुकान में काम कर रहे थे. मो मुस्तफा के पुत्र मो आफताब को हत्या का आरोपी बनाया गया है. प्राथमिकी में आफताब द्वारा मोबाइल पर फायरिंग की तसवीर दिखाने वाली बात का भी जिक्र किया गया है.
कहा गया कि सुभाष ने जब इसको लेकर डांट-फटकार की तो आफताब घर गया और पिस्टल ला कर सिर में गोली मार दी. घटना का चश्मदीद नीरज कुमार सिंह, सोनू कुमार सिंह, रामविलास शर्मा, खटर मंडल आदि को बताया गया है. बयान के आधार पर पुलिस ने भादवि की धारा 302 व आर्म्स एक्ट की धारा 27 के तहत प्राथमिकी दर्ज की है.
बाइक से नहीं, बस से भागा था आफताब
सोमवार को व्यवसायी सुभाष सिंह की हत्या के बाद आफताब घर छोड़ कर फरार हो गया था. देर शाम तक बाजार में चर्चा थी कि भागने के लिए किसी ने उसे बाइक उपलब्ध करायी थी और बाइक से ही वह घटना को अंजाम देने के बाद फरार हुआ, लेकिन आफताब ने पुलिस को बताया कि वह बाइक से नहीं, बल्कि बस से बिहरा गया था.
हत्या के बाद वह पहले घर की ओर गया. एक अखबार के पन्ने में पिस्टल लपेटा और व्यापार संघ भवन, नौ-आना कचहरी रोड होते हुए गांधी मैदान पहुंचा. सुनसान जगह पा कर उसने पिस्टल गांधी मैदान स्थित तालाब में फेंक दिया और फिर जिला मत्स्य कार्यालय के रास्ते एसबीआइ मुख्य शाखा रोड के रास्ते गुदरी बाजार पहुंचा. वहां उसने बस ली और सीधा बिहरा पहुंच गया. हालांकि उसकी यह चालाकी उसके काम नहीं आयी और आखिरकार वह पुलिस के हत्थे चढ़ गया.
सोमवार को अवकाश से लौटने के क्रम में ही घटना की जानकारी मिली थी. तत्काल ही सदर एसडीपीओ सहित पुलिस अधिकारियों को गंभीरता से कार्रवाई का निर्देश दिया गया था. इसका बेहतर परिणाम भी सामने आया है. पुलिस ने अपना दायित्व पूरा किया है. पूरे मामले में पुलिस कर्मियों का कार्य सराहनीय रहा है.
डाॅ कुमार एकले, एसपी, सुपौल
लोगों की उत्तेजना देख अनायाश ही 72 घंटों के अंदर गिरफ्तारी का वादा किया गया था, लेकिन इस वादे को पूरा करने के लिए जोर आजमाइश करनी पड़ी. हत्यारोपी को बिहरा थाना क्षेत्र से गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है. उसने अपना जुर्म भी कबूल कर लिया है.
विद्या सागर, सदर एसडीपीओ, सुपौल
आरोपित मो आफताब को सोमवार की शाम सहरसा जिला अंतर्गत बिहरा थाना क्षेत्र में बाजार से पश्चिम दिशा की ओर कोसी दियारा इलाके से गिरफ्तारी कर ली गयी. सदर एसडीपीओ विद्या सागर ने बताया कि भागने के क्रम में आफताब की एक बार भाई से बातचीत हुई थी. हालांकि उसने यह नहीं बताया था कि वह कहां और कैसे जा रहा है. लेकिन बस की आवाज आ रही थी. मोबाइल टावर लोकेशन के आधार पर बिहरा थाना क्षेत्र में उसकी खोजबीन आरंभ की गयी. आफताब ने पहले वहां अपना फोन किसी दोस्त को दे दिया था,
लेकिन बाद में उससे फोन पुन: वापस ले लिया. वही सूत्रों से भी उसकी पहचान करा ली गयी थी. इसी के आधार पर उसकी गिरफ्तारी की गयी.
आफताब ने कबूला, काफी सहयोग करता था सुभाष: महज 22 वर्ष के आफताब ने भले ही फर्नीचर व्यवसायी सुभाष सिंह (45) की गोली मार कर हत्या कर दी हो, लेकिन पुलिस की गिरफ्त में आने के बाद उसने सुभाष के अच्छे काम भी गिनाये. उसने पुलिस को बताया कि वह लकड़ी और प्लास्टिक के घरेलु सामान व खिलौने का कारोबार करता था. जिसके लिए वह सामान सहरसा व पटना से मंगाया करता था. जब भी उसके पास पैसे की कमी होती थी, सुभाष ही उसका सहारा बनता था
. सुभाष जरूरत पड़ने पर कभी भी आफताब को 20 से 25 हजार रुपये तक मुहैया करा देता था. दोनों के बीच काफी बेहतर तालमेल था और अक्सर लेनदेन होता था, लेकिन पारिवारिक मामलों में सुभाष की दखलंदाजी उसे मंजूर नहीं थी.
ननिहाल भागने की फिराक में था आफताब: आफताब ने पुलिस को बताया कि हत्या के बाद से वह काफी भयभीत था और पुलिस से बचने के लिए ही घटना के कुछ देर में ही शहर से भाग निकला था. उसकी कोशिश अपने ननिहाल जाने की थी. यही कारण है कि गुदरी चौक से उसने सीधा सहरसा की बस पकड़ी, लेकिन पुलिस को चकमा देने के लिए वह बिहरा में ही बस से उतर गया. उसने अपना मोबाइल भी उसी इलाके में कहीं फेंक दिया, जो पुलिस बरामद नहीं कर पायी है.
पिस्टल का किया गया था प्रयोग
आफताब ने सुभाष की हत्या के लिए 7.65 एमएम की पिस्टल का प्रयोग किया था. जिस पर मेड इन यूएसए लिखा हुआ था, लेकिन पुलिस सूत्रों ने बताया कि पिस्टल के हुलिया से स्पष्ट हो रहा था कि वह लोकल है. संभावना जतायी गयी कि पिस्टल मुंगेर में तैयार किया गया होगा. हत्या के बाद आफताब ने पिस्टल गांधी मैदान तालाब के दक्षिण-पश्चिमी कोने में फेंक दिया था
और इसके बाद फरार हुआ था. पूछताछ में उसने इस बात को कबूला. जिसके बाद तालाब में पिस्टल की तलाश आरंभ की गयी. हालांकि पहली बार में पिस्टल पुलिस को नहीं मिल सकी. इसके बाद एक ईंट का टुकरा तालाब में फेंकवाया गया और इसी आधार पर पिस्टल की खोज शुरु की गयी, जिसमें पुलिस को सफलता मिली.
चेतावनी को गंभीरता से नहीं ली
पुलिस गिरफ्त में आने के बाद हत्यारोपी आफताब ने अपना जुर्म कबूल कर लिया है. उसने पुलिस को बताया कि उसके परिवार में अक्सर कलह होता रहता था. जिसमें सुभाष कई बार हस्तक्षेप किया करता था. इसके कारण सुभाष से उसकी नाराजगी रहती थी. उसने पुलिस को यह भी बताया कि इसी साल जनवरी माह में मुख्यालय स्थित पंजाब नेशनल बैंक शाखा से एक लाख रुपये का ऋण दिलाने में सुभाष ने उसकी मदद की थी. हालांकि वह ऋण की किस्त चुकाने में सक्षम नहीं हो पा रहा था. जबकि सुभाष इसके लिए उसे बार-बार टोकता था. सोमवार की सुबह भी ऐसा ही कुछ हुआ.
जिसके बाद उसने मोबाइल वीडियो और फोटो के माध्यम से सुभाष को संदेश देने की कोशिश की. वह नहीं समझ पाया तो उसे बोला भी कि वह सुभाष को गोली मार सकता है, लेकिन सुभाष ने इस चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया और उस पर तंज कस दिया. तभी उसके पास पिस्टल नहीं था. लिहाजा वह वापस अपने घर लौटा और फिर पिस्टल ला कर सुभाष को गोली मार दी.

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