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रिश्वत मामले में दागदार रहा है त्रिवेणीगंज प्रखंड

कार्रवाई. बुधवार को घूस लेते वक्त दारोगा हुए गिरफ्तार त्रिवेणीगंज : रिश्वतखोरी के मामले में त्रिवेणीगंज का दामन दागदार रहा है और निगरानी की कार्रवाई भी समय-समय पर इसी प्रकार सुर्खियां बटोरती रही हैं. निगरानी की पहली कार्रवाई अनुमंडल मुख्यालय में वर्ष 2010 में पहली बार सामने आयी. जब जिला स्तरीय टीम ने बीआरसी कार्यालय […]

कार्रवाई. बुधवार को घूस लेते वक्त दारोगा हुए गिरफ्तार

त्रिवेणीगंज : रिश्वतखोरी के मामले में त्रिवेणीगंज का दामन दागदार रहा है और निगरानी की कार्रवाई भी समय-समय पर इसी प्रकार सुर्खियां बटोरती रही हैं. निगरानी की पहली कार्रवाई अनुमंडल मुख्यालय में वर्ष 2010 में पहली बार सामने आयी. जब जिला स्तरीय टीम ने बीआरसी कार्यालय में छापेमारी कर दो ऑडिटर को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया. बाद में यह मामला पटना की निगरानी पुलिस टीम को हस्तगत कर दिया गया. यह घटना अपने आप में अनोखी थी. क्योंकि बीते वर्षों में जिले के किसी भी हिस्से में ऐसा मामला सामने नहीं आया. करीब पांच वर्षों तक सब कुछ शांत रहा. लेकिन बीते ढाई वर्षों में चार अधिकारी रिश्वत लेते रंगे रंगे हाथ निगरानी पुलिस के शिकंजे में आ चुके हैं. अनि विमल होरो की बुधवार को जिला मुख्यालय में निगरानी पुलिस द्वारा गिरफ्तारी इस कड़ी में पांचवीं कार्रवाई है. जबकि पटना की निगरानी टीम की यह चौथी कार्रवाई है.
बीइओ से हुई कार्रवाई की शुरुआत: पटना की निगरानी पुलिस टीम द्वारा पहली कार्रवाई 04 दिसंबर 2015 को सामने आयी. जब निगरानी पुलिस ने तत्कालीन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी लालकंद कुमार को 10 हजार रुपये रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया. बताया गया कि अंतरवेतन बकाया भुगतान के लिए बीइओ द्वारा शिक्षकों से 10 हजार रुपये की मांग की जा रही थी. बरहकुरवा निवासी शिक्षक मनोज कुमार मेहता द्वारा आशय की शिकायत निगरानी पुलिस से की गयी. जिसके बाद निगरानी ने बीइओ को धर दबोचा. वही 24 अगस्त 2016 को मध्य विद्यालय करमिनिया के एक सहायक शिक्षक की गिरफ्तारी निगरानी पुलिस द्वारा की गयी. हालांकि यह गिरफ्तारी किस कारणवश हुई, यह स्पष्ट हो नहीं सका. बाद में बताया गया कि बीइओ लालकंद कुमार के बयान के आधार पर ही शिक्षक की गिरफ्तारी की गयी. क्योंकि रिश्वतखोरी में उनकी भी संलिप्तता थी. दीगर बात है कि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हो सकी.
किसी दारोगा की पहली बार हुई गिरफ्तारी
पटना निगरानी की चौथी और कुल मिला कर पांचवी कार्रवाई के रूप में बुधवार को सामने आयी अनि विमल होरो की गिरफ्तारी प्रखंड क्षेत्र में निगरानी द्वारा किसी भी पुलिस कर्मी की पहली गिरफ्तारी है. दीगर बात है कि पड़ोस के पिपरा प्रखंड से वर्षों पूर्व ही तत्कालीन पिपरा थानाध्यक्ष सत्य नारायण सिंह की गिरफ्तारी हो चुकी है. यही कारण है कि प्रखंड क्षेत्र में दारोगा की गिरफ्तारी की चर्चा चरम पर है. हालांकि चर्चा आम है कि तमाम कार्रवाई के बावजूद सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी का खेल नहीं रुक रहा है. ऐसे में सरकारी दफ्तरों की झीकझीक से परेशान हर कोई अब उन आवेदकों की तलाश कर रहा है, जिसने रिश्वतखोरों की गिरफ्तारी के लिए निगरानी का सहारा लिया.
इसी साल बीडीओ को किया गया गिरफ्तार: पटना की निगरानी टीम द्वारा तीसरी गिरफ्तारी इसी साल जनवरी माह में की गयी. 11 जनवरी को तत्कालीन बीडीओ शैलेश कुमार केसरी को निगरानी पुलिस ने 25 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया. पंचायत सचिव बैद्यनाथ यादव की शिकायत पर निगरानी पुलिस ने यह कार्रवाई की. बताया गया कि पंचायत सचिव का स्थानांतरण किसनपुर प्रखंड में हो गया है. लेकिन बीडीओ द्वारा उनका एलपीसी निर्गत नहीं किया जा रहा था. एलपीसी निर्गत करने के लिए बीडीओ द्वारा 25 हजार रुपये रिश्वत की मांग की जा रही थी.

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