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सुपौल नगर परिषद ने पाया सूबे में पहला स्थान

सुपौल : बात सुपौल की हो तो बरबस लोग यहां की गरीबी और बदहाली का जिक्र ही करते हैं. लेकिन आर्थिक रूप से सूबे के शीर्ष पिछड़े जिलों में शुमार सुपौल के लिए नगर परिषद ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. सुपौल नगर परिषद ने जनसुविधाओं के विकास के मामले में सूबे में शीर्ष स्थान […]

सुपौल : बात सुपौल की हो तो बरबस लोग यहां की गरीबी और बदहाली का जिक्र ही करते हैं. लेकिन आर्थिक रूप से सूबे के शीर्ष पिछड़े जिलों में शुमार सुपौल के लिए नगर परिषद ने नया कीर्तिमान स्थापित किया है. सुपौल नगर परिषद ने जनसुविधाओं के विकास के मामले में सूबे में शीर्ष स्थान प्राप्त किया है. जिसकी वजह से सुपौल नगर परिषद को राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा आदर्श नगर परिषद घोषित किया गया है.

साथ ही उत्कृष्ट कार्यों के लिए सुपौल नगर परिषद को तीन करोड़ रुपये का प्रोत्साहन राशि पंचम राज्य वित्त से प्रदान किया गया है. यह राशि सहायक अनुदान के तौर पर नगर परिषद क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए प्रयोग में आयेंगे. खास बात यह है कि सूबे में केवल एक नगर निगम, दो नगर परिषद व तीन नगर पंचायत को आदर्श नगर निकाय घोषित किया गया है. जिसमें पटना एकमात्र नगर निगम के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहा है.

सरकार के विशेष सचिव द्वारा इस बाबत नगर परिषद को पत्र भी उपलब्ध करा दिया गया है. जिससे नगर परिषद के अधिकारी व कर्मियों सहित स्थानीय लोगों में भी हर्ष व्याप्त है.

राज्य सरकार के नगर विकास एवं आवास विभाग द्वारा जारी पत्र में पटना नगर निगम के अलावा दो नगर परिषद व तीन नगर पंचायत को आदर्श नगर निकाय घोषित किया गया है. यहां दिलचस्प यह है कि नगर परिषद की सूची में भी सुपौल का नाम प्रथम तथा फुलवारीशरीफ का नाम दूसरे स्थान पर है. इसके अलावा बेलसंड, नवगछिया व बखरी नगर पंचायत को भी आदर्श नगर निकाय घोषित किया गया है. पटना नगर निगम को अनुदान के तौर पर 05 करोड़, सुपौल व फुलवारीशरीफ नगर परिषद को 03 करोड़, बेलसंड नगर पंचायत को 01 करोड़ तथा नवगछिया व बखरी नगर पंचायत को 50 लाख रुपये का अनुदान राशि बतौर पुरस्कार प्रदान किया गया है. मुख्यमंत्री नगर निकाय प्रोत्साहन योजना के प्रावधानों के तहत यह राशि प्रदान करने की घोषणा सरकार ने की है. पत्र सरकार के विशेष सचिव जयप्रकाश मंडल द्वारा जारी किया गया है.
फर्श से अर्स तक पहुंचा है सुपौल नगर परिषद
बतौर नगर परिषद सुपौल ने दो दशक से अधिक समय पूरे कर लिये हैं. लेकिन नगर परिषद क्षेत्र में विकास कार्यों की गाथा कोई पुरानी नहीं है. कुछ वर्ष तक सुपौल शहर के हालात ऐसे थे कि शहर की तुलना पंचायत से हुआ करती थी. सुपौल भले ही नगर परिषद क्षेत्र घोषित हो गया हो, लेकिन यहां हालात बद से बदतर थे. तब बतौर नगर परिषद सुपौल का स्थान कहीं नहीं टिकता था. लेकिन बीते कुछ वर्षों में हालात बदले और वक्त के बदलते दौर में शहर ने भी विकास के मामले तक में करवट ली. विकास की पटरी पर एक बार उतरते ही रफ्तार तेज हुई और इसमें कोई शक नहीं कि सुपौल अब पूरी तरह शहर का रूप ले चुका है. हालांकि अब भी यहां कई मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. लेकिन नगर परिषद की रचनात्मक कार्यों के प्रति अभिरुचि को देखते हुए लोगों में भी विश्वास पैदा हुआ है. नतीजा है कि शहरवासी भी नगर परिषद के कार्यों में भरपूर सहयोग कर रहे हैं. नगर परिषद की ताजा उपलब्धी को भी इसी परिश्रम और लगन के परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि बुद्धिजीवियों का तर्क है कि इस उपलब्धि से बहुत अधिक उतावला होने की आवश्यकता नहीं है. बल्कि इसे संजो कर आगे भी रफ्तार को बढ़ाने की आवश्यकता है.
राज्य सरकार द्वारा करीब 04 माह पूर्व सभी नगर निकाय के कार्यों की समीक्षा की गयी थी. इसी के आधार पर आंकलन हुआ और सुपौल नगर परिषद को जनसुविधाओं के मामले में सूबे का प्रथम नगर परिषद चुना गया है. नगर परिषद के लिए यह बड़ी उपलब्धि है. इसे आगे कायम रखने की कोशिश की जायेगी.
सुशील कुमार मिश्रा, कार्यपालक पदाधिकारी, नगर परिषद, सुपौल

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