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बदइंतजामी का पर्याय छोटी रेल खंड

बदइंतजामी का पर्याय छोटी रेल खंड ट्रेनों के परिचालन, प्लेटफाॅर्म व अन्य सुविधाओं की देख रेख नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे रेल यात्री फोटो – 7,8,9कैप्सन – रेलखंड के बीच कचड़ा, नल से निकल रहा पानी, रेलवे परिसर में गंदगी का अंबारप्रतिनिधि, सुपौल विभागीय उदासीनता की वजह से सुपौल रेलवे स्टेशन गंदगी व बदइंतजामी […]

बदइंतजामी का पर्याय छोटी रेल खंड ट्रेनों के परिचालन, प्लेटफाॅर्म व अन्य सुविधाओं की देख रेख नहीं होने का खामियाजा भुगत रहे रेल यात्री फोटो – 7,8,9कैप्सन – रेलखंड के बीच कचड़ा, नल से निकल रहा पानी, रेलवे परिसर में गंदगी का अंबारप्रतिनिधि, सुपौल विभागीय उदासीनता की वजह से सुपौल रेलवे स्टेशन गंदगी व बदइंतजामी का पर्याय बन चुका है. यूं तो पूर्व से ही जिला वासी रेल मंत्रालय द्वारा इस रेलखंड की उपेक्षा से हलकान है. आजादी के बाद से अब तक इस इलाके के लोगों को छोटी रेल लाइन ही मयस्सर है. अमान परिवर्तन की मांग व वर्षों पूर्व से कराये जा रहे कार्यों का अब तक पूर्णता की ओर नहीं पहुंचना यात्रियों के लिए कठिनाई का सबब बना हुआ है. साथ ही छोटी रेल लाइन पर ट्रेनों के परिचालन, प्लेटफार्म व अन्य सुविधाएं का सही तरीके से देख रेख नहीं होने का खामियाजा रेल यात्रियों को भुगतना पड़ रहा है. आलम यह है कि इस रेल खंड पर जब कभी उच्चाधिकारियों का आगमन होता है तो सभी प्रकार की व्यवस्थाओं को चुस्त दुरुस्त कर लिया जाता है. यहां तक कि स्टेशन परिसर के चहंुओर ब्लीचिंग पाउडर छिड़काव से लेकर सभी कर्मी अपने- अपने ड्रेस कोड में भी दिखने लगते हैं. लेकिन उच्चाधिकारियों के प्रस्थान होते ही स्थिति जस की तस बन जाती है. जिस कारण जिले वासियों व यात्रियों में असंतोष देखी जा रही है.गंदगी का पर्याय बना सुपौल स्टेशन जिला मुख्यालय स्थित रेलवे स्टेशन गंदगी का पर्याय बना है. एक तरफ जहां प्लेटफार्म तक पहुंचने वाले रास्ते कचरे व गंदगी से भरा पड़ा है. वहीं स्टेशन परिसर के बाहरी गोलंबर के बांयी ओर कचरे का ढेर लगा हुआ है. प्लेटफाॅर्म व पटरियों के बीच मौजूद कचरा समस्या का कारवां बना हुआ है. साथ ही कचरे से फैल रही दुर्गंध यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है. ट्रेन के इंतजार कर रहे यात्रियों को गंदगी की वजह से प्लेटफाॅर्म पर समय गुजारना मुश्किल साबित होता है. यहां तक कि रेल प्रबंधन द्वारा नियमित रूप से प्लेटफार्म की साफ – सफाई भी नहीं कराया जाता है. नतीजतन स्टेशन पहुंचे यात्रियों को काफी समस्या झेलनी पड़ती है. जिस कारण खुले रूप से सांस लेना भी दुर्लभ साबित होता है.प्लेटफाॅर्म पर फैला रहता है गंदा पानी स्थानीय रेलवे स्टेशन पर अधिकांश समय गंदे पानी का जमाव देखा जाता है. जिसके बीच लोगों को आवागमन मुश्किलें खड़ी करती है. दरअसल स्टेशन पर पेयजल की सुविधा को लेकर उपलब्ध पानी का नल व चापाकलों की काफी खराब स्थिति है. अधिकांश नल या तो खराब पड़े हैं या फिर इन नलों से निरंतर बहता पानी प्लेटफाॅर्म पर जल जमाव व गंदगी फैलाने में सहायक सिद्ध होता है. गंदगी व कचड़े में पानी का समावेश हो जाने से स्थिति और भी विकट हो जाती है. जिसका खामियाजा यहां पहुंचे यात्रियों को उठाना पड़ता है. आवारा पशुओं का बना चारागाहसुपौल रेलवे स्टेशन पर रेल यात्रियों की मूलभूत सुविधाओं का भले ही अभाव हो, लेकिन आवारा पशुओं को विचरण की यहां खुली छूट मिली हुई है. प्लेटफाॅर्म पर अक्सर स्वच्छंद रूप से विचरण करते कुत्ते, बकरी, बैल, सूअर आदि इसका जीता जागता उदाहरण हैं. आलम है कि ट्रेन टाइम से इतर खाली समय में प्लेटफाॅर्म पर यात्रियों से अधिक इन आवारा पशुओं की उपस्थिति होती है. जहां ट्रेन पकड़ने आये यात्रियों के लिए आवारा पशु काफी मुश्किलें खड़ी करते हैं. वहीं किसी दुर्घटना घटित होने की भी आशंका बनी रहती है. इन सबके बावजूद रेल प्रशासन का ध्यान नहीं जा रहा. रेल प्रशासन की व्यवस्था है फेलव्यवस्था के नाम पर रेल प्रबंधन फेल होता दिख रहा है. अमूमन रेलवे प्लेटफाॅर्म के ऊपर आम लोगों द्वारा साइकिल व दो पहिया वाहन को ले जाना वर्जित है. पर, सुपौल स्टेशन पर इसका कोई प्रभाव नहीं दिख रहा है. इस कारण प्लेटफाॅर्म पर साइकिल के साथ ही कभी कभार मोटर साइकिल का हो रहा परिचालन व्यवस्था को मुंह चिढ़ाने जैसा प्रतीत हो रहा है.

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