अमरेंद्र, सुपौल : जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड में मंगलवार को 15 हजार रूपये घूस लेते अंचलाधिकारी ध्रुव कुमार की गिरफ्तारी ने जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को एक बार फिर से दागदार किया है. मालूम हो कि जिले में अब तक करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारी व कर्मी निगरानी के हत्थे चढ़ चुके हैं. यह सिलसिला मुख्य रूप से वर्ष 2006 से प्रारंभ हुआ था. भ्रष्टाचार में संलिप्तता के कारण जिले के कई अधिकारी, डॉक्टर, पुलिस पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि व कर्मी धरे जा चुके हैं.
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सीओ की गिरफ्तारी से एक फिर दागदार हुआ प्रशासन का दामन
अमरेंद्र, सुपौल : जिले के त्रिवेणीगंज प्रखंड में मंगलवार को 15 हजार रूपये घूस लेते अंचलाधिकारी ध्रुव कुमार की गिरफ्तारी ने जिले की प्रशासनिक व्यवस्था को एक बार फिर से दागदार किया है. मालूम हो कि जिले में अब तक करीब एक दर्जन से अधिक अधिकारी व कर्मी निगरानी के हत्थे चढ़ चुके हैं. यह […]
वहीं त्रिवेणीगंज से भ्रष्टाचार एवं निगरानी का पुराना नाता रहा है. गत वर्ष 11 अप्रैल 2018 को त्रिवेणीगंज थाना में पदस्थापित एएसआई भगवान ठाकुर को निगरानी की टीम ने 20 हजार रूपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.
इससे पूर्व भी इसी थाने में एक एसआई विमल होड़ो की गिरफ्तारी निगरानी के द्वारा 10 हजार रूपये घूस के रकम के साथ की गयी थी. घूसखोरी के मामले में जिले के कई अधिकारी पूर्व में निगरानी के हत्थे चढ़ चुके हैं. जिसमें इससे पहले 17 मई 2017 को जिला शिक्षा पदाधिकारी मो हारूण को निगरानी ने 10 हजार रूपये घूस लेते रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.
लगातार हो रही इस प्रकार की घटनाओं से जाहिर होता है कि जिले के अधिकांश कार्यालय व विभागों में भ्रष्टाचार की गंगा बह रही है. यह दीगर बात है कि जब निगरानी विभाग की पैनी नजर इन पर पड़ती है, तब जाकर भ्रष्टाचार में लिप्त पदाधिकारी व कर्मी धरे जाते हैं.
लंबी है निगरानी के हत्थे चढ़े भ्रष्टाचारियों की लिस्ट
सबसे पहले जनवरी 2006 में इंदिरा आवास के नाम पर व्यापक पैमाने पर अवैध उगाही करने के मामले में निगरानी ने डीआरडीए में छापेमारी किया था. जिसमें अवैध उगाही की राशि के अलावा निगरानी द्वारा अधिकारी भी दबोचे गये थे.
जिसके बाद पथ निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता केपी सिंह भी घूस लेते गिरफ्तार किये गये थे.
पुन: पिपरा थाना में पदस्थापित थानाध्यक्ष सत्यनारायण सिंह को निगरानी ने उनके आवास पर 10 हजार घूस लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया था.
सदर थाना क्षेत्र के कर्णपुर पंचायत के मुखिया बद्री प्रसाद ठाकुर को निगरानी की टीम ने घूस लेते पकड़ा था.
फरवरी 2014 में किसनपुर के पंचायत सचिव देव सुंदर लाल दास को निगरानी ने रंगे हाथ घूस लेते गिरफ्तार किया था.
दिसंबर 2015 में त्रिवेणीगंज में पदस्थापित बीइओ लालकुंद कुमार को निगरानी ने रिश्वत लेते रंगे हाथ पकड़ा था.
दिसंबर 2016 में वीरपुर अनुमंडल कोषागार में तैनात लेखापाल राम पुकार राय को निगरानी की टीम ने घूस की रकम के साथ गिरफ्तार किया था.
जनवरी 2017 में एक बार फिर त्रिवेणीगंज थाना क्षेत्र में निगरानी की कार्रवाई हुई. जिसमें बीडीओ शैलेश कुमार केसरी को रंगे हाथों घूस लेते निगरानी ने धर दबोचा था.
अप्रैल 2017 में निगरानी की टीम ने त्रिवेणीगंज थाने में ही पदस्थापित एएसआई विमल होड़ो को सुपौल में कचहरी के समीप से 10 हजार रूपये घूस लेते धर-दबोचा था.
पिपरा पीएचसी में पदस्थापित डॉ जवाहर प्रसाद को भी निगरानी की टीम ने घूस की रकम के साथ रंगे हाथ गिरफ्तार किया था.
01 नवंबर 2018 को मरौना अंचलाधिकारी सह निर्मली प्रभारी अंचलाधिकारी मो शाह आलम को 55 हजार रुपये रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया गया.
निगरानी अन्वेशन ब्यूरो द्वारा अंचलाधिकारी को 15 हजार रुपये घूस लेते रंगेहाथ किया गिरफ्तार करने का मामला
अब तक जिले में एक दर्जन से अधिक भ्रष्टाचरी चढ़ चुके हैं निगरानी टीम के हत्थे
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