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चिकित्सक कर रहे भरोसे का खून

विभागीय उदासीनता. जिले में अवैध रूप से संचालित हैं दर्जनों नर्सिंग होम नर्सिंग होम में सरकारी नियमावलियों का ध्यान ही नखा रखा जाता है वहां सेवा भावना से कोई लेना-देना नहीं है जिससे मरीज होते हैं परेशान. सुपौल : भगवान के बाद दूसरा स्थान रखने वाले चिकित्सक ही मरीजों के भरोसे को तोड़ते नजर आते […]

विभागीय उदासीनता. जिले में अवैध रूप से संचालित हैं दर्जनों नर्सिंग होम

नर्सिंग होम में सरकारी नियमावलियों का ध्यान ही नखा रखा जाता है वहां सेवा भावना से कोई लेना-देना नहीं है जिससे मरीज होते हैं परेशान.
सुपौल : भगवान के बाद दूसरा स्थान रखने वाले चिकित्सक ही मरीजों के भरोसे को तोड़ते नजर आते हैं. हाल के दिनों में घटी घटना उदाहरण के तौर पर मौजूद है. जिले में प्राइवेट अस्पताल नित्य नये खुलते जा रहे हैं. जहां न तो सरकारी नियमावलियों का ध्यान रखा जाता है और न ही मरीजों का. क्योंकि यहां सेवा भावना से कोई लेना देना नहीं होता है. हां अस्पताल परिसर में वायदे से भरे बोर्ड जरूर नजर आते हैं. लेकिन इनकी कथनी और करनी में बड़ा फर्क होता है. कहीं मरीज की जान जाने के बाद हंगामा होता है तो कहीं मामला थाना जाने से पहले ही दबा दिया जाता है. मुकदमा, तारीख-दर-तारीख,
जेल और बेल का खेल खत्म होने के बाद एक बार फिर से वही रामा वहीं खटोलवा. सबसे बड़ा सवाल है कि गई जान वापस तो नहीं लौट सकती. इसी बीच में त्रिवेणीगंज में फर्जी चिकित्सक के फेर में प्रसूता की जान चली गयी. मामले में बबाल होने के बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए फर्जी महिला चिकित्सक व नर्स को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. दुख की बात है कि आज भी जिले में दर्जनों नर्सिंग होम संचालित हैं. जिसे देखने-सुनने वाला कोई नहीं है. लोगों का कहना है कि जनसाधारण से जुड़ी समस्याओं को लेकर नेता से लेकर सामाजिक कार्यकर्ता समय-समय पर आवाज जरूत उठाते हैं लेकिन लोगों के जीवन से जुड़ी स्वास्थ्य की समस्या को लेकर कभी बात नहीं उठती. अगर कभी उठती भी है तो कार्रवाई नहीं होती. हां, इस विकट स्थिति में भी कुछ चिकित्सक ऐसे हैं जो सेवा भावना से काम करते हैं. लेकिन इनकी संख्या बहुत ही कम है.
कहते हैं अधिवक्ता सह आरटीआई कार्यकर्ता : अधिवक्ता सह आरटीआई कार्यकर्ता राजेश कुमार ने बताया कि प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने खास लोगों को छोड़कर सिर्फ 16 लोगों पर केस किया है. जबकि उन्होंने 57 अवैध डॉक्टर नर्सिंग होम और पैथोलॉजी के खिलाफ साक्ष्य के साथ शिकायत की थी
कहते हैं सीएस
इस संबंध में सिविल सर्जन रामेश्वर साफी ने कहा कि लिख कर दीजिये जांच करेंगे. अगर मामला सही पाया जायेगा तो दोषी पर कड़ी कार्रवाई की जायेगी.
स्वास्थ्य महकमा नहीं है गंभीर, मरीज परेशान
जिला स्वास्थ्य विभाग की सूत्रों की मानें तो जिले भर में कुल 06 निजी अस्पतालों का निबंधन है. जिसमें सिमराही, निर्मली, छातापुर, सरायगढ़, त्रिवेणीगंज और सुपौल में एक-एक नर्सिंग होम शामिल है. जबकि जिले भर में दर्जनों निजी अस्पताल संचालित है. जो कहीं ना कहीं स्वास्थ्य विभाग की आंखों के सामने संचालित है. 57 के बदले 16 पर हुआ मामला दर्ज : त्रिवेणीगंज निवासी आरटीआई कार्यकर्ता राजेश कुमार गजेश ने जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी से बिना लाईसेंस और डिग्री के चल रहे नर्सिंग होम, क्लिनिक और पैथोलॉजी चलाये जाने की शिकायत की थी. जिसमें 04 फरवरी को सुनवाई के उपरांत फर्जी डॉक्टर व लैब पर कार्रवाई करने का आदेश जारी किया गया. साथ ही रेफरल अस्पताल के प्रभारी के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए 11 फरवरी को केस दर्ज करवाते हुए संबंधित प्रतिवेदन के साथ उपस्थित होने का निर्देश जारी किया गया था. लोक शिकायत निवारण के आदेश पर अमल करते हुए रेफरल प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी ने अंततः मामला दर्ज कराया. रेफरल प्रभारी ने जांचोपरांत त्रिवेणीगंज के दिव्य ज्योति पॉली क्लिनिक के नंदन कुमार सरदार, जय सिद्धि क्लिनिक के सुनील कुमार, जनसेवा क्लिनिक के मो इस्लाम, पवन कुमार, डीजे आलम, विमला सिंह, रविंद्र कुमार दास, चंद्रनाथ कुमार छोटू, रधुनंदन सरदार, आरपी रमण, विजेंद्र साह, विवेक कुमार, संजीवनी हॉस्पिटल के आरके सिंह, अशोक कुमार, नीरज सिंह, अंजली जांच घर व प्रीतम जांच घर के उपर मामला दर्ज कराया. ताज्जुब नहीं कि आरटीआई कार्यकर्ता द्वारा 57 लोगों के विरुद्ध साक्ष्य दिए गए थे. लेकिन 16 लोगों को ही नामजद किया गया़

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