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धरना स्थल को सील किये जाने पर शिक्षकों में आक्रोश

सीवान : पटना के संजय गांधी स्टेडियम, गर्दनीबाग में पांच सितंबर को शिक्षकों द्वारा आयोजित वेदना प्रदर्शन के कार्यक्रम को स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा जबरन रोक दिये जाने और धरना स्थल पर ताला लटका दिये जाने को लेकर शिक्षकों का आक्रोश फूट पड़ा है. बता दें कि समान काम का समान वेतन और पुराने शिक्षकों […]

सीवान : पटना के संजय गांधी स्टेडियम, गर्दनीबाग में पांच सितंबर को शिक्षकों द्वारा आयोजित वेदना प्रदर्शन के कार्यक्रम को स्थानीय जिला प्रशासन द्वारा जबरन रोक दिये जाने और धरना स्थल पर ताला लटका दिये जाने को लेकर शिक्षकों का आक्रोश फूट पड़ा है.

बता दें कि समान काम का समान वेतन और पुराने शिक्षकों की तरह सेवा शर्त की मांग को लेकर बिहार के लाखों नियोजित शिक्षकों ने शिक्षक दिवस के दिन पटना में उपस्थित होकर बिहार सरकार और शिक्षा विभाग के विरोध में वेदना प्रदर्शन करने का निर्णय लिया था, जिसमें शिक्षक मुंह पर काली पट्टी बांधकर दिनभर धरना प्रदर्शन करनेवाले थे. इस धरना- प्रदर्शन के कार्यक्रम को स्थानीय प्रशासन ने रद्द कर दिया है और संजय गांधी स्टेडियम को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है.
साथ ही बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के कार्यालय को भी पुलिस ने चारों तरफ से घेर लिया है. इस मामले में त्वरित प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए प्रगतिशील प्रारंभिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष मंगल कुमार साह ने कहा कि यह सारा काम बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के इशारे पर किया गया है.
धरना- प्रदर्शन करना और हड़ताल पर जाना कर्मचारियों का अधिकार है और इस अधिकार से सरकार हमें वंचित करके हिटलर शाही नीति का परिचय दे रही है. टीइटी एसटीइटी नियोजित शिक्षक संघ के अध्यक्ष रजनीश कुमार मिश्र ने कहा कि शिक्षकों को प्रताड़ित और अपमानित करने में सूबे की सरकार अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गयी है. सरकार एक तरफ शिक्षकों को सम्मानित करने का ढोंग करती है, वहीं दूसरी तरफ जायज मांगों पर पिटवाती है.
महासचिव श्रीकांत सिंह और उपाध्यक्ष कुमार सौरभ ने कहा कि अगर कल शिक्षक दिवस के दिन का कार्यक्रम पटना में हो जाता तो निश्चित रूप से पूरे बिहार ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नीतीश कुमार की तथाकथित सुशासन की छवि बेनकाब हो जाती.
उपाध्यक्ष राजीव सिंह ने कहा कि प्रदेश में आपातकाल जैसी स्थिति बिहार सरकार ला रही है, क्योंकि हड़ताल करने के लिए कर्मचारी स्वतंत्र होते हैं और यहां समाज का बुद्धिजीवी वर्ग शिक्षकों को ही सरकार हर तरह से प्रताड़ित और अपमानित कर रही है. यह हम किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे और सरकार की दमनकारी नीतियों के विरोध में खुलकर आवाज बुलंद करते रहेंगे.

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