प्रभात खबर में खबर छपने के बाद विभाग की नजर गयी ग्रामीण क्षेत्रों की ओर
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स्वास्थ्य विभाग ने अवैध रूप से चल रहे 105 पैथोलॉजी सेंटरों को किया चिह्नित
प्रभात खबर में खबर छपने के बाद विभाग की नजर गयी ग्रामीण क्षेत्रों की ओर इसके बाद भी विभाग की कुछ और अवैध रूप से चल रहे जांच केंद्रों पर है नजर सीवान : जिले में मानक को पूरा नहीं करने वाले करीब 105 और अवैध पैथोलॉजी जांच केंद्रों की पहचान स्वास्थ्य विभाग ने कर […]
इसके बाद भी विभाग की कुछ और अवैध रूप से चल रहे जांच केंद्रों पर है नजर
सीवान : जिले में मानक को पूरा नहीं करने वाले करीब 105 और अवैध पैथोलॉजी जांच केंद्रों की पहचान स्वास्थ्य विभाग ने कर ली है. उम्मीद है कि सिविल सर्जन डॉ. शिवचंद्र झा जांच पुरी होने के बाद बंद करने का आदेश एक-दो दिनों में दे सकते है. 27 अगस्त को विभाग ने जब शहर के ही 17 मानक पूरा नहीं करने वाले अवैध पैथोलॉजी जांच केंद्रों को बंद करने का आदेश दिया तो प्रभात खबर में यह खबर प्रमुखता से छपी थी कि सिर्फ शहरी क्षेत्रों के ही अवैध जांच केंद्रों को क्यों बंद करने का आदेश दिया गया है? इसके साथ-साथ एक साल में खुले नये अवैध पैथोलॉजी जांच केंद्र पर भी विभाग का ध्यान आकृष्ट कराया गया था.
प्रभात खबर में खबर छपने के बाद विभाग ने पुन: नये सिरे से अवैध मानक को पूरा नहीं करने वाले पैथोलॉजी जांच केंद्रों का सर्वेक्षण कराया. इसमें करीब 105 पैथोलॉजी जांच केंद्र अवैध मिले जो मानक को पूरा नहीं कर रहें स्वास्थ्य विभाग ने सीडब्ल्यूजेसी संख्या 20444/2014 इंडियन एसोसिएशन ऑफ पैथोलौजिस्ट एंड माइक्रोबायोलौजिस्ट (बिहार चैप्टर) बनाम बिहार सरकार के मामले के आलोक में उक्त निर्णय लेते हुए करीब एक साल पहले सभी जिलों में अवैध रूप से बिना मानक के चल रहें पैथोलॉजी केंद्रों की पहचान कर कार्रवाई करने का आदेश दिया था.
इधर उच्च न्यायालय द्वारा इस मामले में सख्त होने के बाद विभाग अवैध रूप से चल रहें पैथोलॉजी जांच केंद्रों को बंद करने में जुट गया है. उच्च न्यायालय का निर्देश है कि कि बिना विशेषज्ञ डॉक्टरों के नहीं चलेंगे पैथोलॉजी जांच केंद्र .
क्या सरकारी अस्पतालों के पैथोलॉजी जांच केंद्र होंगे बंद ?
बिना विशेषज्ञ डॉक्टरों के चल रहें अवैध रूप से पैथोलॉजी जांच केंद्रों के मामले में उच्च न्यायालय के सख्त होने के बाद लोग इस बात का कयास लगा रहें है कि क्या सरकारी अस्पतालों के पैथोलॉजी जांच केंद्र भी उच्च न्यायालय के इस आदेश से प्रभावित होंगे. क्योंकि उच्च न्यायालय का स्पष्ट निर्देश है कि एमसीआई के प्रावधानों के अनुसार कोई पैथोलॉजी योग्यताधारी डॉक्टर के हस्ताक्षर से ही जांच रिपोर्ट जारी किया जा सकता है.
ऐसी परिस्थिति में उच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में सरकारी अस्पतालों के पैथोलॉजी जांच केंद्रों को अगर छुट नहीं मिली है तो विभाग को अपने पैथोलॉजी जांच केंद्रों के बंद करने या पैथोलॉजी के योग्यताधारी डॉक्टरों को पदस्थापित करना पड़ेगा. जिले में करीब 16 प्राथमिक, तीन रेफरल, एक अनुमंडलीय तथा एक सदर अस्पताल है. इन सभी सरकारी अस्पतालों में जांच तो होती है, लेकिन कोई पैथोलॉजी का योग्यताधारी डॉक्टर पदस्थापित नहीं है.
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