सीवान : इसको विभागीय दांव पेच कहे या वरीय पदाधिकारियों की उदासीनता, जिले में कनीय शिक्षकों से वरीय शिक्षकों को प्रभार दिलाने का मामला टेढ़ी खीर साबित होते जा रहा है. हालात यह है कि मामले में वरीय पदाधिकारी के आदेश को सीधे तौर पर कनीय पदाधिकारी ठेंगा दिखा रहे है. जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना अमरेंद्र कुमार मिश्र ने अपने योगदान के बाद ही 26 मई को एक पत्र जारी कर सभी बीइओ से तीन दिन के भीतर कनीय से वरीय को प्रभार हस्तांतरण का प्रतिवेदन मांगा था, परंतु एक महीने बाद भी किसी बीईओ द्वारा प्रतिवेदन नहीं दिया गया है. इस बात को स्वयं डीपीओ भी स्वीकार्य कर रहे है. हालांकि मामले में डीपीओ की भी शिथिलता दिख रही है कि एक महीना बीत जाने के बाद भी इनके द्वारा स्मार पत्र नहीं दिया गया है.
क्या है मामला : निदेशक प्राथमिक शिक्षा ने वर्ष 2013 में पत्र जारी करते हुए निर्देश दिया था कि वरीय के रहते कनीय शिक्षक प्रभार में नहीं रहेंगे. मामले में शिक्षक पर प्राथमिकी दर्ज करने का था निर्देश. पत्र के आलोक में तत्कालीन डीईओ महेश चंद्र पटेल ने वर्ष 2014 में पत्रांक 3715 के तहत सभी बीईओ को पत्र जारी करते हुए वरीय के रहते कनीय को विद्यालय का प्रभारी नहीं रखे का निर्देश दिया था. पत्र में कहा था कि यदि प्रभार हस्तांतरण में कोई परेशानी आती है तो प्राथमिकी दर्ज करना है.
प्राथमिकी के साथ ही विद्यालय खाता संचालन संबंधी रोक का पत्र संबंधित बैंक प्रबंधक को भी देने का निर्देश था. बावजूद इसके यदि किसी विद्यालय में कनीय शिक्षक द्वारा खाते का संचालन किया जाता है तो, उस पर स्थायी गबन का मामला मानते हुए प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश था. वहीं कुछ वरीय शिक्षकों ने अपना नाम नहीं छाने की शर्त पर बताया कि विभागीय राशि की लूट खसोट में प्रखंड स्तरीय सहित अन्य वरीय पदाधिकारी की मोटी रकम लेने की पोल खुल जायेगी, जिस कारण कनीय शिक्षक प्रभार में बने हुए है. इधर जब डीपीओ अमरेंद्र कुमार मिश्र ने योगदान किया तो इसे संज्ञान में लेते हुए सभी बीइओ को पत्र जारी कर तीन दिन के भीतर प्रभार हस्तांतरण का प्रतिवेदन मांगा. जिसे एक महीने बाद भी किसी बीइओ ने देना मुनासिब नहीं समझा है .
विभाग के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा वरीय शिक्षकों को प्रभार दिलाना
जो रिपोर्ट दो दिनों में देनी थी, एक माह बाद भी डीपीओ को नहीं सौंपी
बोले पदाधिकारी
प्रभार हस्तांतरण संबंधी प्रतिवेदन को एक माह बाद भी किसी बीइओ द्वारा उपलब्ध नहीं कराया गया है. यह अनुशासन हीनता का परिचायक है. इससे उच्चाधिकारियों को अवगत कराते हुए साथ ही स्मार पत्र भी सभी बीइओ को दिया जा रहा है. जुलाई के प्रथम सप्ताह में इसका रिव्यू किया जायेगा.
अमरेंद्र कुमार मिश्र, डीपीओ, स्थापना