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1025 कर्मियों को नहीं मिल सका भुगतान

सीतामढ़ी : जिले के सभी 17 प्रखंडों में वर्ष 2007-08 में पशु गणना करायी गयी थी, पर यह जान कर हैरानी होगी कि पशु गणना में लगे 1025 कर्मियों को अब तक भुगतान नहीं मिल सका है. विभाग द्वारा बार-बार आवंटन नहीं मिलने की बात कही जाती है. गणना कर्मी हर 10 दिन पर जिला […]

सीतामढ़ी : जिले के सभी 17 प्रखंडों में वर्ष 2007-08 में पशु गणना करायी गयी थी, पर यह जान कर हैरानी होगी कि पशु गणना में लगे 1025 कर्मियों को अब तक भुगतान नहीं मिल सका है. विभाग द्वारा बार-बार आवंटन नहीं मिलने की बात कही जाती है. गणना कर्मी हर 10 दिन पर जिला पशुपालन कार्यालय में यह जानने के लिए आते हैं कि सरकार से आवंटन मिला है अथवा नहीं. कर्मियों को हर बार ना में जवाब मिलता है और यह सुन उदास मन से बैरंग लौट जाते हैं. यह सिलसिला वर्षों से चला आ रहा है.

विस में उठा था मामला : बताया गया है कि एक अगस्त 13 को परिहार के पूर्व विधायक रामनरेश यादव ने विधानसभा में पशु गणना कर्मियों का भुगतान लंबित रहने का मामला उठाया था. उस दौरान श्री यादव को सिर्फ सोनबरसा प्रखंड का हीं भुगतान लंबित रहने की जानकारी थी,

जबकि किसी प्रखंड के गणना कर्मियों को भुगतान के नाम पर एक कौड़ी भी नहीं मिला था. उनके सवालों के जवाब में पूर्व कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने सच्चाई स्वीकार की थी और कहा था कि सीतामढ़ी जिला पशुपालन पदाधिकारी द्वारा आवंटन की मांग किये जाने पर राशि उपलब्ध करायी जायेगी. हाल यह है कि पूर्व मंत्री के उक्त आश्वासन के बावजूद जिला को अब तक आवंटन उपलब्ध नहीं कराया गया है.

तब आवंटन लिया गया वापस: बताया गया है कि जिला पशुपालन पदाधिकारी ने 12 मार्च 11 को पत्र भेज डीएम को बताया था कि पशु गणना मद में जिला नजारत को 5280960 रुपये का आवंटन मिला है. उन्होंने डीएम से राशि भेजे जाने की मांग की थी ताकि पशु गणना में काम किये प्रगणक, पर्यवेक्षक व टेबुलेटर का भुगतान किया जा सके. पत्र के आलोक में डीएम द्वारा सभी 17 प्रखंडों को कुल 67 लाख 85 हजार 733 रुपये उपलब्ध करा दिये गये.

बाद में जांच में पता चला कि जिला नजारत को आवंटन हीं नहीं मिला है. तब आनन-फानन में प्रखंडों को पहले बेतार संवाद व बाद में पत्र भेज कर राशि वापस करने का निर्देश दिया गया और सभी 17 प्रखंडों से राशि वापस ले ली गयी थी. पूर्व मंत्री श्री सिंह ने विधानसभा में श्री यादव के सवालों के जवाब में उक्त जानकारी दी थी. बता दें कि उस वर्ष पशु गणना में 909 प्रगणक, 95 पर्यवेक्षक व 21 टेबुलेटर काम किये थे.

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