साफ-सफाई से ही मच्छरों से बचाव पुपरी. कहा जाता है कि गरमी में ही मच्छर का प्रकोप रहता है. जाड़ा में इसमें कमी हो जाती है, पर जैसे-जैसे ठंड का एहसास बढ़ता जा रहा है मच्छरों का जाल फैलता जा रहा है. कीड़े-मकोड़े भी समाप्त नहीं हुए हैं. बताया जाता है कि एनोफिल नामक मच्छर का प्रकोप है जो कालाजार जैसी गंभीर बीमारी उत्पन्न करती है. इसका खात्मा डीडीटी के छिड़काव से होता है. चिकित्सक एम कुमार व डाॅ. श्रीपति झा की माने तो सभी मच्छर परजीवी होते हैं. किसी गंभीर रोग से ग्रसित व्यक्ति का खून चूसने के बाद यदि वही मच्छर किसी स्वस्थ व्यक्ति को काटता है तो स्वस्थ व्यक्ति भी संक्रमित हो जाता है. आसपास को साफ रखना, सोते वक्त नेट का प्रयोग करना, समय-समय पर डीडीटी पाउडर का छिड़काव कराना, रात में सोते वक्त सरसों तेल लगा कर सोने से मच्छर से बचा जा सकता है. नालों को साफ रखना व पानी को जमा नहीं होने देने से हीं इससे बचा जा सकता है.
साफ-सफाई से ही मच्छरों से बचाव
साफ-सफाई से ही मच्छरों से बचाव पुपरी. कहा जाता है कि गरमी में ही मच्छर का प्रकोप रहता है. जाड़ा में इसमें कमी हो जाती है, पर जैसे-जैसे ठंड का एहसास बढ़ता जा रहा है मच्छरों का जाल फैलता जा रहा है. कीड़े-मकोड़े भी समाप्त नहीं हुए हैं. बताया जाता है कि एनोफिल नामक मच्छर […]
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