सीतामढ़ी : वर्ष 1998 के बाद प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य एचआइवी संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना व इस बीमारी से जिसकी मौत हो गयी है, उनका शोक मनाना है.
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जिले में एड्स के 5359 मरीज, 536 रेफर, 473 की हुई मौत
सीतामढ़ी : वर्ष 1998 के बाद प्रत्येक वर्ष एक दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है. एड्स दिवस मनाने का उद्देश्य एचआइवी संक्रमण के प्रसार की वजह से एड्स महामारी के प्रति जागरूकता बढ़ाना व इस बीमारी से जिसकी मौत हो गयी है, उनका शोक मनाना है. सरकार व स्वास्थ्य अधिकारी, गैर सरकारी संगठन […]
सरकार व स्वास्थ्य अधिकारी, गैर सरकारी संगठन व दुनिया भर में लोग अक्सर एड्स की रोकथाम व नियंत्रण पर शिक्षा के साथ इस दिन निरीक्षण करते हैं. विश्व एड्स दिवस के अवसर पर हर वर्ष की तरह इस बार भी विभिन्न सरकारी एवं गैर-सरकारी संस्थाओं द्वारा जागरुकता को लेकर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा.
स्थानीय एएनएम स्कूल की प्रशिक्षु छात्राओं द्वारा रविवार की सुबह शहर में प्रभात फेरी निकालकर शहरवासियों को एचआइवी संक्रमण से होने वाले खतरों एवं एचआइवी से बचाव को लेकर जागरुक किया जाएगा.3619 मरीजों का सदर अस्पताल में चल रहा इलाज :जिले में भी एड्स पीड़ितों की बड़ी संख्या है.
साल दर साल एड्स मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा ही हो रहा है. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में 30 नवंबर तक कुल 5359 मरीजों का निबंधन किया गया है. इनमें से 5142 मरीजों का इलाज शुरू किया गया है. वहीं, इलाजरत 473 मरीजों की मौत हो चुकी है. जबकि, 536 एड्स पीड़ितों को बेहतर इलाज के लिए दूसरे संस्थानों में रेफर किया जा चुका है.
फिलहाल 3619 एड्स पीड़ित दवा का सेवन कर रहे हैं. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जिले में सर्वाधिक एड्स मरीजों वाले प्रखंडों में डुमरा, रून्नीसैदपुर व परिहार प्रखंड है, जिसमें क्रमश: 790, 483 व 450 एड्स मरीज पाये गये हैं.
सदर अस्पताल में 2012 में खुला एआरटी सेंटर : स्थानीय एआरटी सेंटर के डाटा मैनेजर मनोज कुमार झा के अनुसार नगर स्थित सदर अस्प्ताल में वर्ष 2012 में विश्व एड्स दिवस के अवसर पर एक दिसंबर 2012 को एआरटी सेंटर का शुभारंभ हुआ था, जिसके बाद एचआइवी पीड़ितों का इलाज जिले में ही किया जाने लगा. वर्ष 2013 से इलाज प्रारंभ हुआ.
पहले वर्ष जिले में कुल 1420 एड्स पीड़ित चिह्नित किये गये. इनमें से 32 लोगों की दवा सेवन नहीं करने के चलते मौत हो गयी. जबकि, 210 एड्स पीड़ितों की इलाज के क्रम में मौत हो गयी थी. हालांकि, उसके बाद से धीरे-धीरे एड्स पर नियंत्रण देखा गया और मरीजों की संख्या घटने लगी.
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