7.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

फसल अवशेष को खेतों में नहीं जलाने का बच्चों ने लिया संकल्प

शिवहर : राज्य सरकार के निर्देश पर चेतना सत्र के दौरान राजकीय मध्य विद्यालय कुशहर के शिक्षकों समेत बच्चों ने फसल अवशेष को खेतों में न जलाने का शपथ लिया. उक्त अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक उदयशंकर कुमार सिंह एवं शिक्षक न्याय मोर्चा के जिला सचिव मोहम्मद शर्फुद्दीन ने कहा कि कुछ वर्षों से किसानों […]

शिवहर : राज्य सरकार के निर्देश पर चेतना सत्र के दौरान राजकीय मध्य विद्यालय कुशहर के शिक्षकों समेत बच्चों ने फसल अवशेष को खेतों में न जलाने का शपथ लिया.

उक्त अवसर पर विद्यालय के प्रधानाध्यापक उदयशंकर कुमार सिंह एवं शिक्षक न्याय मोर्चा के जिला सचिव मोहम्मद शर्फुद्दीन ने कहा कि कुछ वर्षों से किसानों के द्वारा अपने खेतों में फसल कटाई के बाद बचे हुए अवशेषों को खेतों में जलाने की प्रवृत्ति बढ़ी है,एक फसल की कटाई के उपरांत एवं दूसरी फसल की बोआई के बीच के समय अंतराल में कमी, जैसे धान की कटाई अगर नवंबर के अंतिम सप्ताह या दिसंबर के प्रथम सप्ताह में किसानों द्वारा किया जाता है, तो गेहूं की बोआई जल्दी करने के लिए किसान फसल अवशेष को खेतों में ही जला देते हैं.
श्री सिंह एवं जिला सचिव ने कहा कि मजदूरों के माध्यम से फसल कटाई करने तथा फसलों की दौनी, निकौनी कार्य किया जाता था. जिससे फसल अवशेष का उपयोग पशुचारा के रूप में होता था. फसल कटाई के समय मजदूरों की कमी के कारण भी फसल अवशेष जलाने की प्रवृत्ति बढ़ी है. फसल अवशेष को खेतों में जलाने से मिट्टी तथा मानव स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.
फसल अवशेष जलाने से घटती है खेतों की उर्वरा शक्ति: उन्होंने कहा कि फसल अवशेषों को खेतों में जलाने से मिट्टी का तापमान बढ़ता है. जिससे मिट्टी में उपलब्ध जैविक कार्बन जो पहले से ही हमारी मिट्टी में कम है और भी जलकर नष्ट हो जाता है. जिसके फलस्वरूप मिट्टी की उर्वरा शक्ति में कमी आ जाती है.
मिट्टी की उपरी सतह सबसे महत्वपूर्ण होती है, क्योकि इस सतह में ह्यूमस पाया जाता है.ह्यूमस पत्तो, जानवरों और फसल अवशेष के सड़कर मिट्टी में मिलने से बनता है. इसमें पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं.ह्यूमस के जलने से अगली फसल प्रभावित होती है.
फसल अवशेष जलाने से उपज बढ़ाने वाले मित्र कीट की हो जाती है मृत्यु
प्रखंड सचिव पवन कुमार ने कहा कि फसल अवशेष को जलाने से मिट्टी में उपलब्ध सूक्ष्म जीवाणु, मित्र कीट केचूआ आदि मर जाते हैं. फसल अवशेष को जलाने से खेतों के लिए जरूरी पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. जिससे किसान अधिक से अधिक रासायनिक खादों का उपयोग करते हैं, जो मिट्टी की उर्वरा शक्ति के लिए हानिकारकर है.
फसल अवशेषों को जलाने से वातावरण में कार्बन डाईआॅक्साइड की मात्रा बढ़ती है. जिसके कारण पर्यावरण प्रदूषित होती है. फसल अवशेषों को खेतों में जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आंखों में जलन, नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है. कहा कि फसल की कटाई के बाद फसल अवशेष को खेतों में न जलाने के लिए अपने परिवारजनों एवं सगे-संबंधियों को प्रेरित जरूर करें.
मौके पर विद्यालय के शिक्षक लक्ष्मीनारायण राय, ब्रजिकशोर सिंह, पंकज किशोर, कपिल देव साह, कामिनी कुमारी, सरोज झा, कामिनी कुमारी, रेणु कुमारी, रेखा कुमारी, ज्योत्सना कुमारी नीतू वर्मा सहित विद्यालय के सैकड़ों छात्र-छात्राएं मौजूद थे.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें