छपरा. छपरा नगर निगम के वार्डों में सफाई व्यवस्था को लेकर सवाल उठने लगे हैं. नगर निगम ने प्रत्येक वार्ड के लिए 11 सफाई कर्मियों की तैनाती की थी, लेकिन स्थिति यह है कि अधिकतर वार्डों में केवल दो से तीन सफाईकर्मी ही काम करते दिखाई देते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी सफाईकर्मियों की मांग की जाती है, तो कहा जाता है कि कर्मी काम पर लगे हैं या फिर उन्हें काम नहीं दिया गया है. शहरवासियों ने नगर निगम और सफाई एजेंसी पर आरोप लगाया है कि सफाई कर्मियों की हाजिरी फर्जी हो सकती है. भगवान बाजार निवासी अरविंद कुमार सिंह ने कहा कि नगर निगम हर महीने एक करोड़ से अधिक रुपये सफाई व्यवस्था पर खर्च कर रहा है, फिर भी हालात जस के तस हैं. वहीं, गुदरी बाजार निवासी सबीना प्रवीण ने आरोप लगाया कि सफाईकर्मियों की संख्या के नाम पर कोई बड़ा खेल हो रहा है और निगरानी व्यवस्था ठीक से काम नहीं कर रही है.
सफाई एजेंसी के अधिकारियों का कहना है कि निगम क्षेत्र में कुल 680 सफाई कर्मी तैनात किये गये हैं, जिनमें जमादार, सुपरवाइजर और ड्राइवर भी शामिल हैं. एजेंसी ने दावा किया कि यह संख्या नगर आयुक्त के आग्रह पर बढ़ायी गयी थी और इसमें कोई घोटाला नहीं है. कई लोगों का कहना है कि इसकी उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए, ताकि फर्जी हाजिरी और घोटाले की आशंका का समाधान किया जा सके. इतना ही नहीं, नगर निगम के स्थाई और अस्थाई कर्मचारियों की भी सफाई कार्य में तैनाती की जाती है, लेकिन फिर भी सफाई व्यवस्था सुधारने में कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. शहरवासियों ने इस मुद्दे की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है.एजेंसी के स्तर से कोई लापरवाही नहीं हो रही
मेरे एजेंसी के 700 सफाई कर्मी प्रतिदिन काम करते हैं. पहले यह संख्या 680 थी लेकिन अधिकारियों की दबाव की वजह से अब 700 के लगभग हो गया है. सफाई व्यवस्था यदि गड़बड़ है तो वार्ड में मौजूद सफाई कर्मियों की जांच होनी चाहिए. मुख्य सड़क और वीआइपी रोड के लिए अलग से सफाई कर्मी लगे हुए हैं. एजेंसी के स्तर से कोई लापरवाही नहीं हो रही है. जब कभी जांच की जरूरत पड़ेगी मैं तैयार हूं.अतुल कुलश्रेष्ठ, मैनेजिंग डायरेक्टर, सफाई एजेंसी
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है