हरि प्रकाश मिश्रा, छपरा
सारण जिले में स्वास्थ्य व्यवस्था एक बार फिर चुनावी मुद्दा बनकर उभर रही है. भले ही पिछले कुछ वर्षों में जिला अस्पताल को आधुनिक भवन और मदर एंड चाइल्ड हेल्थ केयर यूनिट जैसी नयी सुविधा मिली हो, लेकिन कई बुनियादी व्यवस्थाएं अब भी अधूरी हैं. मुख्यालय स्थित सदर अस्पताल में अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा आज भी सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. आये दिन मरीजों को जांच के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता है या फिर निजी क्लिनिकों का सहारा लेना पड़ता है. इससे गरीब मरीजों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है. सदर अस्पताल के अल्ट्रासाउंड विभाग में एक दिन में सिर्फ 25 मरीजों के अल्ट्रासाउंड किये जाने की ही सुविधा उपलब्ध है. इसमें से 20 सामान्य मरीज व पांच इमरजेंसी केस के मरीजों का अल्ट्रासाउंड होता है. ऐसे में ग्रामीण क्षेत्र से आये कई ऐसे मरीज जो सुबह रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलने स पहले ही लाइन में लग जाते हैं. उन्हें निराशा हाथ लगती है. कई बार तो रजिस्ट्रेशन कराये मरीजों को अपनी बारी आने में दो से तीन दिन का समय लग जाता है.मशीन सिर्फ एक
सदर अस्पताल के अल्ट्रासाउंड विभाग का भवन काफी जर्जर हो चुका है. मरीजों को बैठने तक कि यहां व्यवस्था नहीं मिलती. कमरे में रोशनी का भी पर्याप्त इंतजाम नहीं है. सदर अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार विभाग के पास सिर्फ एक ही अल्ट्रासाउंड मशीन है जिसमें अगर कभी तकनीकी खराबी आ जाती है तो अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधा ठप हो जाती. हालांकि कुछ माह पहले नया अल्ट्रासाउंड मशीन मंगाकर रखा गया है. लेकिन अब तक इसे इंस्टॉल नहीं किया गया है. इस संदर्भ में सदर अस्पताल के प्रबंधक राजेश्वर प्रसाद का कहना है कि जल्द ही टेक्नीशियन बुलाकर नया मशीन इंस्टॉल कराया जायेगा. हालांकि तब तक यहां मरीजों की परेशानी बनी हुई है. इतना ही नहीं अल्ट्रासाउंड विभाग के लिए कोई भी स्थायी चिकित्सक या एक्सपर्ट नहीं है. दूसरे विभागों से चिकित्सकों को प्रतिनियुक्ति पर यहां रखा जाता है.व्यवस्था में कमी का दलाल उठा रहे फायदा
अल्ट्रासाउंड विभाग समेत अन्य कई प्रमुख विभागों में इन्फ्रास्ट्रक्चर व अन्य व्यवस्थाओं की कमी का फायदा दलाल उठा रहे हैं. परिसर में आये दिन दलालों की सक्रियता बनी रहती है. कई बार पुलिस प्रशासन ने इसे लेकर कार्रवाई भी की. सदर अस्पताल के अल्ट्रासाउंड विभाग में एक दिन में 25 मरीजों का ही अल्ट्रासाउंड होता है. ऐसे में जो मरीज विषम परिस्थिति में अल्ट्रासाउंड कराने आते हैं. उन्हें दलाल अपने चंगुल में फंसा कर आसपास के निजी जांच घर व लैब में लेकर चले जाते हैं और वहां उनसे मोटी उगाही भी की जाती है.अस्पताल की व्यवस्था सुधारने के हुए कई प्रयास
विगत एक दशक में भवन निर्माण, वार्ड विस्तार, ऑक्सीजन प्लांट की सुविधा और मातृ-शिशु स्वास्थ्य इकाई की स्थापना करायी गयी. बावजूद इसके स्वास्थ्य सेवाओं का ढांचा अब भी पूरी तरह मजबूत नहीं हो सका है. वही स्थानीय लोगों का कहना है कि नये भवन बनने के बाद भी कई मशीनें चालू नहीं हो सकी हैं, वहीं विशेषज्ञ चिकित्सकों की भी कमी बनी हुई है. अल्ट्रासाउंड जांच की सुविधाओं के अभाव में मरीज निजी क्लिनिक की ओर जा रहे हैं. चुनाव करीब आते ही अब विपक्ष भी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

