राणा सिंह पिंटु, गड़खा
बीएसएफ के शहीद जवान मो. इम्तियाज को उनके पैतृक गांव गड़खा में रविवार को अंतिम विदाई दी गयी. जैसे ही पटना से पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, हजारों की संख्या में लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. गड़खा से मानपुर के बीच हर चौक-चौराहे पर लोग वीर सपूत के अंतिम दर्शन के लिए खड़े थे. सेना के जवानों ने पूरे सम्मान के साथ पार्थिव शरीर को गांव तक पहुंचाया. गांव के छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी. चार वर्षीय मो. फजल, 80 वर्षीया फातिया बेगम और रामदुलारी देवी तक यात्रा में शामिल रहीं. ग्रामीणों ने कहा कि इम्तियाज का बलिदान हमेशा याद रखा जायेगा. अंतिम यात्रा में शामिल युवाओं ने पाकिस्तान के खिलाफ आक्रोश जताया और कहा कि शहादत व्यर्थ नहीं जायेगी. शहीद के घर के बाहर पैर रखने की भी जगह नहीं थी. लोगों का कहना है कि गड़खा की धरती पहले भी बलिदानों की गवाह रही है और आगे भी देश के लिए हर कुर्बानी को तैयार है.10 किमी पहले मानपुर से ही अंतिम दर्शन को उमड़ा हुजूम
पार्थिव शरीर को पटना से गड़खा लाते वक्त रास्ते में लोगों का जनसैलाब उमड़ पड़ा. हर मोड़, हर चौक-चौराहे पर लोग सड़क के दोनों किनारों पर खड़े होकर वीर सपूत को नमन करते दिखे. सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे, लेकिन जनसमर्थन देखकर हर कोई भावुक हो उठा. गांव से बड़ी संख्या में लोग 10 किमी दूर मानपुर तक शव की अगुवानी के लिए पहुंचे. बाइक सवार युवाओं ने “वीर शहीद इम्तियाज अमर रहें” के नारों से माहौल गूंजा दिया. भैरोपुर, मटिहान, कमालपुर, रहिमापुर, बसंत जैसे गांवों में लोग शहीद की झलक पाने को बेताब नजर आये. कड़ी धूप भी लोगों का उत्साह कम न कर सकी. घरों की छतों से लेकर सड़क किनारे तक लोग केवल एक झलक के लिए इंतजार में खड़े थे. हर जुबान पर शहीद की बहादुरी की चर्चा थी. महिलाओं और युवाओं की भागीदारी विशेष रूप से उल्लेखनीय रही. राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत यह दृश्य भावुक कर देने वाला था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है