छपरा. होली को लेकर लोगों में उत्साह दिख रहा है. 13 मार्च को होलिका दहन को लेकर भी शहर के विभिन्न मुहल्लों व जिले के विभिन्न प्रखंडों में भी विशेष तैयारियां की गयी हैं. चिन्हित स्थानों पर मध्य रात्रि में होलिका दहन शुभ मुहूर्त में होगा. होलिका दहन को लेकर कई जगहों पर दहन सामग्री इकट्ठा की गयी है. कुछ जगहों पर होलिका को सजाया भी गया है. छपरा शहर के थाना चौक, कटहरीबाग, प्रभुनाथनगर, साढ़ा, नेवाजी टोला, रयनपुरा, नवीगंज, श्यामचक, रेलवे कॉलोनी, गुदरी आदि जगहों पर होलिका दहन किया जायेगा. होलिका दहन को लेकर एसपी डॉ कुमार आशीष ने भी कई महत्वपूर्ण निर्देश जारी किये हैं. संवेदनशील जगहों पर होलिका दहन नहीं करने का निर्देश दिया गया है. बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, रेलवे ट्रैक, संकरी गालियां, व्यस्ततम बाजार आदि जगहों पर होलिका नहीं जलायी जायेगी. इसके लिए विभिन्न थानाध्यक्षों को निर्देश दिया गया है. होलिका जलाते समय सुरक्षा के दृष्टिकोण से फायरब्रिगेड को भी उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया है. छपरा फायर स्टेशन होलिका दहन को लेकर अलर्ट है.
शहर से गांवों तक चढ़ा होली का रंग
लोगों में इस बार होली का जश्न मनाने को लेकर खासा उत्साह देखने को मिल रहा है. शहर के बाजार गुलजार हैं. फुटपाथों पर सजी रंग-अबीर और पिचकारी की छोटी-छोटी दुकानें होली का उमंग बढ़ा रही हैं. शहर के हथुआ मार्केट, साहेबगंज, मौना, सरकारी बाजार, गुदरी आदि प्रमुख बाजारों में रेडीमेड गारमेंट, कलर, किराना और फ्रूट्स के दुकानों में ग्राहकों की काफी भीड़ देखने को मिल रही है. बच्चों, युवाओं और महिलाओं में खरीदारी का काफी उत्साह है. खासकर छोटे बच्चों में अपनी पसंदीदा पिचकारी और कलर को खरीदने की उत्सुकता दिख रही है. रेडीमेड गारमेंट्स के अलावे शॉपिंग मॉल में भी परिधानों की खरीदारी के लिए रात 10 बजे तक चहल-पहल देखी जा रही है. नगरपालिका चौक और साहेबगंज रोड में दर्जनों फुटपाथी दुकानों पर होली को कलरफुल बनाने के प्रोडक्ट्स बेचे जा रहे हैं.15 को मनायी जायेगी होली : आचार्य दीपक
होली मनाने की तिथि को लेकर कई जगहों पर असमंजस की स्थिति बनी हुई है. इसे दूर करते हुए प्रख्यात आचार्य पंडित दीपक पांडेय ने स्पष्ट किया कि शास्त्रों के अनुसार रंग खेलने का पर्व 15 मार्च को मनाया जाना चाहिए. उन्होंने बताया कि संपूर्ण देश में होलिका दहन 13 मार्च की रात 10:37 बजे के बाद किया जायेगा, जबकि काशी में परंपरागत रूप से 14 मार्च को होली खेली जायेगी. अन्यत्र 15 मार्च को रंगोत्सव मनाने की परंपरा है. आचार्य पांडेय ने बताया कि धार्मिक ग्रंथ निर्णय सिंधु के अनुसार चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को ही रंगोत्सव मनाने की परंपरा है. उन्होंने इसका प्रमाण देते हुए शास्त्रों में लिखित श्लोक का हवाला दिया. उन्होंने बताया कि इस दिन होली मनाने का विशेष धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है. शास्त्रों में बताया गया है कि इस दिन जो व्यक्ति चांडाल से स्वयं को स्पर्श कर स्नान करता है. उसे पाप और रोग नहीं लगते. साथ ही, होलिका दहन के बाद उसकी भस्म को धारण करने से समस्त दुखों से मुक्ति मिलती है.होलिका दहन का शुभ मुहूर्त 13 मार्च की रात साढ़े दस बजे
आचार्य पांडेय ने बताया कि वर्ष 13 मार्च की रात 10:37 बजे भद्रा समाप्त हो रही है, जिसके बाद होलिका दहन किया जाना उचित रहेगा. अगले दिन 14 मार्च को काशी में परंपरा के अनुसार होली खेली जायेगी, अन्य स्थानों पर 15 मार्च को होली मनाने की परंपरा है. उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए 15 मार्च को होली मनाएं और किसी भी तरह की भ्रांति में न पड़ें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है