छपरा (कोर्ट) : मकेर थाना क्षेत्र के मछही जमालपुर निवासी व सेना का भगोड़ा नीडू शर्मा, जिसे मकेर का आतंक कहा जाता था कि हत्या के 10 वर्ष बीत गये, परंतु उसके आतंक ने कई ऐसे युवकों को अपराध की दुनिया में जाने को विवश कर दिया कि आज वे चाह कर भी उस अपराध के दलदल से बाहर नहीं निकल पा रहे.
आतंक का जवाब देने के लिए अपराधी बने ये चेहरे आज स्वयं आतंक के पर्याय बन चुके हैं. इनमें एक नाम है नक्सली एरिया कमांडर अनिल सहनी का, जिसे सारण पुलिस ने दो मई को बड़ी संख्या में असलहों और तीन अन्य साथियों के साथ गिरफ्तार कर चुकी है. गिरफ्तार अनिल ने पुलिस के समक्ष दिये अपने स्वीकारोक्ति बयान में कहा है कि उसके पिता वैद्यनाथ सहनी एक मजदूर थे और वह आठ भाइयों के साथ मजदूरी तथा दियारा में तरबूज की खेती करता था.
वर्ष 1996 में उस क्षेत्र में नीडू का आतंक था. किसी की हत्या कर देना या बहू- बेटी की इज्जत के साथ खेलवाड़ करना उसके लिए आम बात थी. उसके कुकर्म का विरोध रामबहादुर महतो एवं उसके पुत्र किया, तो उसने उनकी हत्या कर दी. इस घटना से उसे मर्माहत किया और वह राम बहादुर व रामपुकार महतो के साथ नक्सली कमांडर प्रमोद मिश्रा से मिला और नक्सली गतिविधियों में शामिल होने लगा. वर्ष 2011 में रामपुकार की पत्नी पंचायत चुनाव जीती. उसके बाद से रामपुकार ने उन लोगों से मुंह फेर दौलत इकट्ठा करने लगा, जिसकी शिकायत प्रमोद मिश्रा, राजन जी से उसने की.