नलकूप बना महिलाओं का चिपड़ी पाथने का भवन
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बंद हैं नलकूप, नहीं हो रही सिंचाई
नलकूप बना महिलाओं का चिपड़ी पाथने का भवन विभाग की उदासीनता और कर्मचारियों की लापरवाही बता रहे हैं लोग नगरा : नगरा प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न पंचायतों में सरकारी नलकूप विभाग की उपेक्षा के कारण पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. प्रखंड क्षेत्र में नलकूपों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है और […]
विभाग की उदासीनता और कर्मचारियों की लापरवाही बता रहे हैं लोग
नगरा : नगरा प्रखंड मुख्यालय के विभिन्न पंचायतों में सरकारी नलकूप विभाग की उपेक्षा के कारण पिछले कई वर्षों से बंद पड़ा है. प्रखंड क्षेत्र में नलकूपों की स्थिति बद से बदतर हो गयी है और लाखों रुपये खर्च होने के बावजूद किसानों को नलकूप से सिंचाई का लाभ नहीं मिल पा रहा है. प्रखंड में नलकूप किसानों के लिए पूरी तरह से शोभा की वस्तु बन कर रह गया है. इससे किसानों को प्राइवेट पंपिगसेट से सिंचाई करना काफी महंगा साबित हो रहा है.
आज भी प्रखंड के किसानों को सरकारी नलकूपों से सिंचाई के लिए पानी एक लंबे अरसे से अपने खेतों में पहुंचने की उम्मीद जगती है. वहीं, सिंचाई कार्य पूरी तरह बाधित है. मालूम हो कि नगरा, कादीपुर, बन्नी, अफौर, तुजारपुर, डुमरी, धूपनगर धोबवल, जगदीशपुर, तकिया, खैरा सहित इसके आसपास के क्षेत्रों में वर्षों से सिंचाई की बदतर व्यवस्था होने से कृषि कार्य पूरी तरह से प्रभावित है. ग्रामीण क्षेत्र के किसान महेश राय, मनोज कुमार, सरिता कुंवर, रामपुकार महतो, राजदेव राय, अशोक मांझी, राजा, जमादार राय, प्रदीप राम, आशुतोष राम, संजय तिवारी, अजय तिवारी, सगीर आलम, बबलू आलम, क़ुतुबुद्दीन अली, मेराज आलम, मो इब्राहीम, मो कलाम, अनवर आलम, मो मुशा, तैयब अली आदि ने बताया कि अधिकारियों एव कर्मियों को इन नलकूपों से कोई मतलब नहीं होता है, वे पूरी तरह मूकदर्शक बने हुए हैं, जबकि किसान बेचैन हैं. मौजूदा हालात यह है कि कई नलकूपों को आज तक बिजली भी मयस्सर नहीं हो पायी है, तो कई तकनीकी खराबी एव ट्रांसफाॅर्मर जले होने की वजह से वर्षों से बंद हैं और वहां जंगल-झार उग आये हैं. कुछ नलकूप के भवन पर गांव की महिलाएं चिपड़ी पाथने के काम में उपयोग कर रही हैं.
इतना ही नहीं, कर्मचारियों की लापरवाही के चलते चोरों ने कई जगह से नलकूप में लगे बिजली तार, ट्रांसफाॅर्मर तथा मोटर आदि की चोरी कर ली. कई नलकूपों के मोटर वर्षों से धूप-बारिश में रह कर जंग खा रहे हैं. सरकार व जिला प्रशासन द्वारा समुचित व्यवस्था नहीं किये जाने से इस योजना में लगे लाखों रुपयों की राशि बेकार साबित हो रही है. अगर प्रशासन और संबंधित अधिकारी की इच्छाशक्ति हो, तो किसान सूखे की मार से बच सकते हैं, जबकि नलकूप को सुचारु ढंग से चलाने के लिए सरकार द्वारा ऑपरेटर की भी बहाली की गयी है.
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