आज भी विवाहिताओं को रहता है मायके के संदेश का इंतजार आधुनिकता के बीच कायम है वर्षों पुरानी परंपरा मकर संक्रांति को लेकर विवाहिता बेटियों के घर मायक से भेजा जाता है संदेशसंदेश में दही, चिउरा, तिलकुट, कसार, तिलवा व लाई के अलावा कोहड़ा व सब्जियां होती हैं शामिल विवाहिता बेटियों के सुसरालवालों में मायके से पिता, भाई या भतीजा लेकर जाते हैं संदेशफोटो नंबर 13 सीएचपी 6 है कैप्सन होगा-पंकज सिनेमा रोड में सजी लार्इ-चिउरा की दुकान फोटो नंबर 13 सीएचपी 7 व 9 है कैप्सन होगा- मौना चौक पर चिउरा व मीठा खरीदने के लिए जुटी ग्राहकों की भीड़फोटो नंबर 13 सीएचपी 8 है कैप्सन होगा- बाज की आकृतिवाले पतंग को खरीदते युवक फोटो नंबर 13 सीएचपी 10 है कैप्सन होगा-साहेबगंज में सजी तिलकुट की दुकानफोटो नंबर 13 सीएचपी 11 है कैप्सन होगा-जोगिनिया कोठी में लाई तैयार करते कारीगर संवाददाता, छपरा/दिघवाराजमाना आधुनिक हुआ, मगर इस आधुनिकता के बीच कई तरह की पुरानी परंपराएं आज भी बरकरार हैं. इस पुरानी परंपरा को लेकर लोगों की उत्सुकता बनी रहती है. मकर संक्रांति को लेकर विवाहिता बेटियों की ससुरालों में मायकेवालों द्वारा संदेश लेकर जाने की परंपरा दशकों वर्षों के बाद भी कायम है एवं आज भी विवाहित बेटियां बेसब्री से संक्रांति से पूर्व मायके से आनेवाले संदेश का इंतजार करती हैं. कमोबेश मायके का आया संदेश बहुओं के सम्मान में भी वृद्धि करता है. बेटियों की ससुराल में संदेश भेजने की जिम्मेवारी मायके की महिलाओं के जिम्मे होती है एवं महिलाएं ही सामान का इंतजाम कर पुरुषों को सामान के साथ बेटियों की ससुराल भेज कर परंपरा को पूरा करवाती हैं. कई बार तो पुरुषों को संदेश पहुंचाने के लिए छुट्टी लेकर घर आना पड़ता है. संदेश का सामान आर्थिक स्थिति पर निर्भर करता है, मगर सामान्यत: संदेश में खुशबूदार चिउरा, स्वादिष्ट दही, तिलकुट, कसार, लाई, तिलवा के अलावा कोहड़ा व अन्य सब्जियां होती हैं. प्राचीन परंपरा की बाबत दरियापुर प्रखंड की जगदीशपुर निवासी शांति देवी कहती हैं कि वह हर वर्ष मकर संक्रांति से पूर्व बेटियों के घर दही-चिउरा भिजवाना नहीं भूलती हूं. बेटियों को भी मायके से आनेवाली वस्तुओं का इंतजार रहता है. सामान के साथ बेटियों के घर पहुंचने से रिश्तों में नजदीकी के साथ बेटियों का हाल-चाल भी मालूम हो जाता है. वहीं, इसी प्रखंड के फतेहपुर चैन निवासी शारदा कुंवर कहती हैं कि शारीरिक अस्वस्थता के कारण बेटियों को पहले की तरह सामान बना कर भेजने में विवशता है, मगर हर साल कुछ ना कुछ सामान भेजा जाता है. बेटियों की ससुरालवालों को भी संदेश का इंतजार रहता है. शारीरिक क्षमता रहने तक बेटियों के घर संक्रांति में संदेश भेजने का सिलसिला जारी रहेगा. दूध-दही, तिलकुट खरीदने के लिए ग्राहकों से पटा रहा बाजारबुधवार को शहर के पंकज सिनेमा रोड, मौना चौक, साहेबगंज, गुदरी आदि बाजारों में चिउरा, तिलकुट व मीठा खरीदने के लिए ग्राहकों की भीड़ जुटी रही. वहीं, दूसरी ओर दूध-दही की खरीदारी के लिए लोगों को आपाधापी करते देखा गया. तरह-तरह के आकारवाले पतंगों की खरीदारी भी खूब हुई.
आज भी विवाहिताओं को रहता है मायके के संदेश का इंतजार
आज भी विवाहिताओं को रहता है मायके के संदेश का इंतजार आधुनिकता के बीच कायम है वर्षों पुरानी परंपरा मकर संक्रांति को लेकर विवाहिता बेटियों के घर मायक से भेजा जाता है संदेशसंदेश में दही, चिउरा, तिलकुट, कसार, तिलवा व लाई के अलावा कोहड़ा व सब्जियां होती हैं शामिल विवाहिता बेटियों के सुसरालवालों में मायके […]
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement