मां सरस्वती की पूजा करनेवाले भक्तों को मूर्ति खरीदने में ज्यादा खर्च करनी होगी राशि
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बढ़ती महंगाई के साथ महंगे हो गये भगवान!
मां सरस्वती की पूजा करनेवाले भक्तों को मूर्ति खरीदने में ज्यादा खर्च करनी होगी राशि इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 20 से 30 फीसदी बढ़े हैं दाम मूर्ति बनाने में प्रयोग में आनेवाली वस्तुओं के दामों में वृद्धि होने से बढ़े हैं मूर्तियों के दाम अब सीमित जगहों के कुम्हार ही करते हैं […]
इस वर्ष पिछले वर्ष की तुलना में 20 से 30 फीसदी बढ़े हैं दाम
मूर्ति बनाने में प्रयोग में आनेवाली वस्तुओं के दामों में वृद्धि होने से बढ़े हैं मूर्तियों के दाम
अब सीमित जगहों के कुम्हार ही करते हैं मूर्ति निर्माण का काम
दिघवारा : बढ़ती महंंगाई का असर मूर्ति
बाजार में दिखने लगा है. शायद महंगाई की वजह से ही इस वर्ष भगवान भी महंगे हो गये हैं. जी हां, प्रखंड अधीन क्षेत्रों में मूर्तिकारों द्वारा बनायी
जानेवाली मां सरस्वती की प्रतिमाओं के दामों में इस वर्ष ज्यादा तेजी देखने को मिल रही है. पिछले वर्षों की तुलना में इस वर्ष मूर्तियों के दामों में काफी वृद्धि हुई है.
20 से 30 फीसदी तक बढ़ा है दाम : पिछले साल की तुलना में इस वर्ष हर साइज की मूर्ति के दामों में 20 से 30 फीसदी तक वृद्धि हुई है. जिस कारण इनसान को उपासना के लिए भगवान की मूर्ति खरीदने में ज्यादा राशि खर्च करनी होगी एवं पूजा के दरम्यान जेब पर दबाव बढ़ेगा. पूजा का बजट भी बढ़ सकता है.
प्रखंड के आमी, शीतलपुर व बस्तीजलाल गांवों के अलावा नगर पंचायत के आंबेडकर चौक, सैदपुर व स्टेशन रोड निवासी कुम्हारों की मानें, तो मूर्ति बनाने में प्रयोग में आनेवाली मिट्टी, बांस, पुआल, लकड़ी, पेंट व सजावट की वस्तुओं के दामों में काफी वृद्धि हुई है, जिसको लेकर मूर्तियों के दाम बढ़ाये गये हैं. कुम्हारों ने बताया कि मिट्टी को अब कई गुना ज्यादा दाम पर खरीदना पड़ता है. वहीं, पुआल की अनुपलब्धता से भी इसके दाम बढ़ गये हैं. बांस के दामों में दोगुनी तक वृद्धि हो गयी है.
काफी सीमित हो गये हैं मूर्तिकार : आधुनिकता व बढ़ती मंहगाई के साथ प्रखंड में कई जगहों पर मूर्तिकार पारंपरिक कार्य को छोड़ कर रोजगार की तलाश में इधर-उधर चले गये हैं. ऐसे में सीमित जगहों पर ही मूर्तिकार मूर्ति निर्माण का कार्य कर रहे हैं, जिससे मूर्ति का दाम बढ़ना लाजिमी है. मूर्तिकार बताते हैं कि मेहनत के अनुसार, मूर्ति बनाने में पैसा नहीं मिल पाता है एवं मजदूरी के हिसाब से दाम नहीं मिलता है. कई मूर्तिकार पारंपरिक कार्य छोड़ कर दूसरे धंधे को अपना चुके हैं. कुछ ही जगहों पर मूर्तिकार पारंपरिक कार्य से जुड़े हैं.
बढ़ेगा बजट, जेब पर बढ़ेगा दबाव : मूर्तिओं के दाम बढ़ने के कारण हर पूजा समिति के बजट में वृद्धि होगी. वहीं, पूजा-अर्चना करनेवाले मां सरस्वती के भक्तों को इस बार ज्यादा जेबें ढीली करनी होंगी. बढ़ती मंहगाई का असर पूजा में साफ देखने को मिल सकता है.
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