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परंपरा से इतर वैज्ञानिक पहलू भी है छठ पर्व का
छपरा (नगर). सूर्योपासना के महापर्व छठ में परंपरा का विशेष महत्व रहता है. इसके तहत नदी, सरोवर या जलाशयों में खड़े होकर अर्घ देने की परंपरा हो या फिर साफ-सफाई व आत्मिक शुद्धि की बात हो. पूर्व में चले आ रही इन परंपराओं से हमारी आस्था तो जुड़ी हुई है, साथ ही इससे कई वैज्ञानिक […]
छपरा (नगर). सूर्योपासना के महापर्व छठ में परंपरा का विशेष महत्व रहता है. इसके तहत नदी, सरोवर या जलाशयों में खड़े होकर अर्घ देने की परंपरा हो या फिर साफ-सफाई व आत्मिक शुद्धि की बात हो. पूर्व में चले आ रही इन परंपराओं से हमारी आस्था तो जुड़ी हुई है, साथ ही इससे कई वैज्ञानिक पहलू भी जुड़े हुए हैं. स्वास्थ्य की दृष्टि से भी इन परपंराओं का व्रतियों के साथ-साथ पूरे माहौल पर काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. शायद यही वजह है कि योग दर्शन भी इस बात को स्वीकार करता है. लोक आस्था का महापर्व छठ एक पवित्र पर्व है. इसमें स्वच्छता और अनुशासन का सख्ती से पालन किया जाता है. छिपे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखे तों स्वच्छता एवं अनुशासित उपवास से शरीर में डिऑक्सिफिकेशन की प्रक्रिया तेज होती है. इस कारण शरीर में मौजूद हानिकारक तत्व व्रतियों के शरीर से दूर हो जाते हैं. वहीं, छठ पर्व के दौरान व्रतियों द्वारा नदी, सरोवर या जलाशयों में लगभग कमर भर पानी में खड़ा होकर अर्घ देने की परंपरा है. ऐसे में वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें तो अर्घ देने के दौरान व्रतियों के शरीर पर पड़नेवाली सूर्य की किरणों से उत्पन्न ऊर्जा को अविशोषित करने के साथ ही इस ऊर्जा को शरीर से बाहर निकलने से रोकता है. प्रात: काल व संध्या के समय सूर्य की किरणों में अल्ट्रावायलेट किरणों का स्तर काफी कम होता है. ऐसे में इस दौरान शरीर पर पड़नेवाली सूर्य की किरणों स्वास्थ्य की दृष्टि से फायदेमंद सिद्ध होती हैं.
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