छपरा (सारण) : धान की रोपनी के समय बारिश नहीं होने से किसानों के चेहरे मुरझाने लगे हैं और खेतों में दरारें भी पड़ने लगी हैं. खेतों में लगे धान के बिचड़ा सूख रहे हैं. इस वर्ष जिले पर सुखाड़ की काली छाया पड़ने लगी है. इस वजह से किसानों को काफी आर्थिक क्षति होने की आशंका है. जिले में लक्ष्य के अनुरूप धान का उत्पादन नहीं होने की आशंका है. किसान मुश्किल में हैं और कृषि विभाग के अधिकारियों की चिंता व परेशानी बढ़ती जा रही है.
* इन क्षेत्रों में नहीं हुई धान की रोपनी
जिले के रिविलगंज, मांझी, एकमा, जलालपुर, लहलादपुर प्रखंडों में धान की रोपनी की स्थिति काफी नगण्य है. हल्की मिट्टीवाला क्षेत्र होने और नहर की व्यवस्था नहीं रहने के कारण रोपनी में बाधा उत्पन्न हो रही है. खेतों में नमी भी नहीं है, जिससे दरारें पड़ने लगी हैं. छपरा सदर के पूर्वी इलाकों के अलावा गड़खा, परसा, दरियापुर, मकेर, अमनौर प्रखंडों में 15 से 20 फीसदी खेतों में धान की रोपनी किसी तरह हुई है. वह भी सूखने के कगार पर है. तरैया, इसुआपुर, नगरा, मढ़ौरा, पानापुर प्रखंडों में नहरों में पर्याप्त पानी की व्यवस्था नहीं रहने के कारण निजी डीजल पंप सेट लगा कर खेतों में रोपनी की जा रही है. वह भी नाममात्र के खेतों में रोपनी हो रही है.
* क्या करें किसान
सुखाड़ की स्थिति में किसान वैकल्पिक फसल भी लगा सकते हैं. उड़द, मूंग, कुर्थी, अरहर आदि लगा सकते हैं. इन फसलों के लिए सिंचाई की विशेष आवश्यकता नहीं पड़ती है. चारे के लिए मक्का, ज्वार, बाजरा भी किसान लगा सकते हैं. इसके अलावा सब्जी का भी उत्पादन किया जा सकता है. फूलगोभी, भिंडी, मिर्च आदि की खेती करके किसान खाली खेतों का उपयोग कर सकते हैं. इससे किसान खाली खेतों का उपयोग कर सकते हैं. इससे न केवल किसान आर्थिक संकट से उबर सकेंगे, बल्कि खेतों का समुचित उपयोग भी कर सकेंगे.
– यह भी अपनाएं
* खेतों में लगे धान की फसल को सूखे से बचने और नमी बनाये रखने के लिए खुरपी से कोड़ाई करें.
* खुरपी से कोड़ाई करने से दरार नहीं पड़ेगी और खेतों में नमी बनी रहेगी.
* पोटाश का प्रयोग भी किसान कर सकते हैं.
* एक लीटर पानी में 20 ग्राम यूरिया का घोल बना कर धान की फसल पर छिड़काव करें.
– लक्ष्य के अनुरूप नहीं हुई रोपनी
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इस वर्ष 86 हजार हेक्टेयर में धान की खेती करने का लक्ष्य रखा गया है, लेकिन इस वर्ष अबतक करीब 22 हजार हेक्टेयर में ही धान की रोपनी हो सकी है. श्री विधि से 50 हजार हेक्टेयर में खेती कराने का लक्ष्य भी इसी में शामिल है. 50 हजार हेक्टेयर में पांच हजार हेक्टेयर में श्री विधि से धान की खेती का प्रत्यक्षण कराने और किसानों को प्रेरित करके 45 हजार हेक्टेयर में श्री विधि से धान की खेती करानी है.